काम के बिना मोटी पगार उठाने वाले रेल कर्मियों की अब खैर नहीं
नई दिल्ली । एक तरफ रेलवे कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है, वहीं कई ऐसे भी हैं जो बिना काम किए मोटी पगार उठा रहे हैं। इस तरह के काम चोर कर्मचारियों की अब खैर नहीं है, क्योंकि इनकी पहचान कर सख्त कार्रवाई करने का फैसला किया गया है। इसके लिए अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिया गया है और इस बारे में अगले महीने रिपोर्ट भी मांगी गई है। वहीं, कर्मचारी यूनियन इस आदेश का विरोध कर रहे हैं।
रेलवे कर्मचारी समय पर अपने कार्य स्थल पर पहुंचे इसके लिए बॉयोमैट्रिक मशीन से हाजिरी लगाने की व्यवस्था की जा रही है। इससे समय पर नहीं आने वाले कर्मचारियों की जानकारी मिल सकेगी। इसके साथ ही अनुपस्थित रहने वाले कर्मचारी भी कोई फर्जीवाड़ा नहीं कर सकेंगे, लेकिन अब तक कुछ ही स्थानों पर बॉयोमैट्रिक मशीनें लगाई गई हैं।
इसलिए अब भी अधिकांश कर्मचारियों की हाजिरी रजिस्टर पर लगाई जा रही है। कई कर्मचारी इसका फायदा उठाकर अनुपस्थित रहने के बावजूद अपनी हाजिरी बनवा लेते हैं।
ऐसे कर्मचारियों की पहचान करने की जिम्मेदारी अधिकारियों और सुपरवाइजरों की होगी। उन्हें अपने अधीन काम करने वाले कर्मचारियों की उपस्थिति का प्रमाण पत्र जारी करना होगा। इसके बिना कर्मचारियों का वेतन नहीं बनेगा। यदि इसमें कोई गड़बड़ी मिली तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ भी कार्रवाई होगी। इसके लिए कार्मिक विभाग की टीम विभिन्न विभागों का औचक निरीक्षण करेगी।
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि रेल कर्मियों की समस्याएं व उनकी शिकायतें दूर करने के लिए रेल प्रशासन ने कई कदम उठाए हैं। इसके साथ ही उनके कामकाज पर भी पैनी नजर रखी जा रही है। रेलवे बोर्ड के नए आदेश से कर्मचारियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
इसके साथ ही उन कर्मचारियों की भी पहचान हो सकेगी जो लंबे समय से अनुपस्थित हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों को 15 दिसंबर तक ऐसे कर्मचारियों की पहचान कर इसकी रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को देनी है।
वहीं, कर्मचारी यूनियन रेल प्रशासन के इस कदम का विरोध कर रहे हैं। उत्तरी रेलवे मजदूर यूनियन के अध्यक्ष एसएन मलिक का कहना है कि सुपरवाइजर और कर्मचारियों के बीच टकराव पैदा करने के लिए यह आदेश जारी किया गया है। रेल प्रशासन कर्मचारियों की एकता को खत्म करना चाहती है। लंबे समय से अनुपस्थित रहने वाले कर्मचारियों का वेतन पहले भी नहीं बनता था।