कर्नाटक में राहुल का विजन और जनता
दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक में 12 मई को मतदान होना है और यही एकमात्र राज्य है जहां कांग्रेस सत्ता में है। इसके साथ ही यह भी सच है कि दक्षिण भारत में भाजपा भी सबसे मजबूत स्थिति में कर्नाटक में ही है। इसलिए राज्य की जनता इस बात पर गौर कर रही है कि कौन पार्टी नयी सरकार बनने पर यहां की मूल भूत समस्याओं का समाधान कर सकेगी। कांग्रेस ने गत 27 अप्रैल को अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी किया है। इसमें श्री राहुल गांधी ने मुख्य रूप से एक करोड़ लोगों को नौकरी देने का आश्वासन दिया है। राहुल गांधी ने कहा है कि यह घोषणा पत्र कर्नाटक की जनता की आवाज है। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अपने विचारों को मन की बात के जरिए व्यक्त करते है लेकिन कंग्रेस ने घोषणा पत्र में कर्नाटक के लोगों के मन की बात कही है।
कर्नाटक की जनता के मन की बात कांग्रेस भी समझ नहीं पायी है। वास्तविकता यह है कि कर्नाटक के बारे में पिछले दिनों वहां के कुछ विद्वानों ने स्पीकिंग फार कर्नाटक के नाम से एक दस्तावेज जारी किया है। इस दस्तावेज को बैलेरियान रोड्रिग्स, नटराज हुलियार, राजेन्द्र चेन्नी और एस जाफेर ने तैयार किया है। दस्तावेज में कर्नाटक के बारे में बताया गया कि किस तरह से यहां के संसाधनों का उपयोग नहीं हो पाया और क्या-क्या जरूरतें हैं। मसलन कर्नाटक में बहुत सारी पर्यटन की संभावनाएं हैं जिन पर किसी सरकार ने अब तक ध्यान नहीं दिया। राज्य में अंधाधुंध खनन कार्य से जंगल खत्म हो रहे हैं और भूमि जल स्तर नीचे जा रहा है। कावेरी जल विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक को थोड़ी राहत जरूर दी है लेकिन अभी लोगों को दूर-दूर से पानी लाना पड़ता है। नौकरी और रोजगार की भी जरूरत है। सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में बदहाली और सार्वजनिक संस्थाओं से भ्रष्टाचार को कांग्रेस ने अबतक क्यों नहीं दूर किया, इस पर भी जनता सवाल पूछ सकती है।
इन सब बातों को देखा जाए तो कांग्रेस का चुनाव घोषणा पत्र एक परम्परा का निर्वाह ही माना जाएगा। राहुल गांधी भले ही इसे कर्नाटक की जनता की आवाज कह रहे हैं लेकिन यह कांग्रेस का वोट मांगने का एक आवेदन पत्र भर ही लग रहा है।