क्वारंटाइन 113 साल पुराना फलस्पा

हरिद्वार। कोरोना जैसी महामारी का प्रकोप फैलने से अब सभी जान चुके हैं कि संक्रमित व्यक्ति को क्वारंटाइन या आइसोलेशन में क्यों रखा जाता है। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अंग्रेजों ने यह व्यवस्था अपने जमाने से ही लागू कर दी थी।इसका प्रमाण जेल ऐक्ट 1894 में देखने को मिलता है। इसमें हर नए बंदी को क्वारंटाइन बैरक में रखने का प्रावधान है। 1907 में भारत में लागू किया गया यह ऐक्ट आज तक लागू है और जेलों में 113 सालों से बंदी क्वारंटाइन होते आ रहे हैं। वर्ष 1999 में बनकर तैयार हुई हरिद्वार जेल में भी क्वारंटाइन बैरक है। हालांकि वर्तमान समय में क्वारंटाइन बैरक ने मुलाहिजा बैरक का रूप ले लिया है। जहां पर बंदी को 10 दिन पहले ही अलग रखा जाता है और फिर दूसरे बैरक में रखने का प्रवाधान है।पुराने जमाने में न तो हाईटेक चिकित्सा विधि थी, जिससे बीमारी का सटीक पता चल सके और न ऐसी विशेष दवाएं थीं। लेकिन अंग्रेजी हुकूमत के पास दूरदृष्टि थी।जिस कारण उनके द्वारा बनाए गए जेल ऐक्ट वर्ष 1894 में क्वारंटाइन की व्यवस्था की गई थी। इस नियम को भारत में वर्ष 1907 में लागू कर दिया गया। यह जेल ऐक्ट आज भी प्रभावी है।113 साल से जेलों में क्वारंटाइन फार्मूला अपनाया जा रहा है। जेल ऐक्ट के मुताबिक जेल में निरुद्ध बंदियों और कैदियों को संक्रमण से बचाने के लिए जेल में आने वाले हर नए बंदी को 10 दिन तक क्वारंटाइन बैरक में रखा जाता है।

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