निजी कंपनियों ने कागजों पर ही रोशन कर दिया गांव

लखनऊ । बिजली विभाग विद्युतीकरण करने वाली कंपनियों पर आंख मूंदकर भरोसा करती रही और कंपनियों ने कागजों पर ही गांवों को रोशन कर दिया। अब लेसा के अभियंता गांव-गांव घूमकर देख रहे हैं कि विद्युतीकरण हुआ है या नहीं। हालांकि वरिष्ठ अभियंता आज भी ऐसी कंपनियों पर विश्वास कर रहे हैं।

अधीक्षण अभियंता सीपी यादव ने बताया कि केआइए कंपनी ने विद्युतीकरण का काम कराया है, उसका दावा है कि लाइन चार्ज कर दी गई है। वहीं दूसरे अधीक्षण अभियंता के निर्देशों के बाद भी कोई अभियंता संबंधित गांव का दौरा करने नहीं गया।

सिर्फ संबंधित प्रधान के पास अवर अभियंता फोन करते रहे। मलेशेमऊ के प्रधान मोहम्मद माहरूफ आरोप लगाते हैं कि प्रदेश सरकार बिजली कनेक्शन देने के लिए शिविर लगवा रही है। विद्युतीकरण के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है।

इसके बाद भी गोमती नगर विस्तार के मलेशेमऊ के दर्जनों परिवार अंधेरे में रहने को विवश हैं। प्रधान माहरूफ के मुताबिक आज तक कनेक्शन के लिए गांव में कोई शिविर नहीं लगा। यही नहीं जिम्मेदार अभियंताओं ने महीनों पहले बिछाई गई लाइन में आज तक करंट तक नहीं दौड़ाया। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि पॉवर फार आल का सपना कैसे पूरा होगा।

वहीं मकदूमपुर के प्रधान देवेश यादव आरोप लगाते हैं कि निजी कंपनी ने गांव के बाहर ही सिर्फ पोल व एरियर बंच कंडेक्टर लगाकर इतिश्री कर ली। गलियों में जहां जरूरतमंदों को कनेक्शन चाहिए, वहां न तो पोल ले जाने की जरूरत समझी गई और न ही केबल बिछाया गया।

ऐसे में भविष्य में अगर जरूरत मंद कनेक्शन लेते हैं तो उन्हें हजारों रुपये का केबल अपने पास से खर्च करना पड़ेगा। यादव आरोप लगाते हैं कि गांवों में जिस हिसाब से तारों का मकड़जाल फैला है उससे लगता है कि विद्युतीकरण में संबंधित अभियंताओं ने कितना ध्यान दिया होगा। यह हाल मलेशेमऊ, जुराखनपुरवा, मकदूमपुर और गुलहरिया गांव का है।

News Source: jagran.com

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