प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कोरोना संकट से निपटने के लिए आत्मनिर्भर भारत का मंत्र दिया

नई दिल्ली/देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कोरोना संकट से निपटने के लिए आत्मनिर्भर भारत का मंत्र दिया। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर होने के मतलब आत्मकेंद्रित होना नहीं है। उन्होंने कहा, “एक राष्ट्र के रूप में हम महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़े हैं। इतनी बड़ी विपदा हमारे लिए एक संकेत लेकर आई है। जब कोरोना संकट शुरू हुआ तो भारत में पीपीई किट्स नहीं बनते थे और एन 95 मास्क नाममात्र के बनाए जाते थे, लेकिन आज हम प्रतिदिन दोनों ही उत्पाद 2-2 लाख बना रहे हैं। यह हम इसलिए कर पाएं क्योंकि विपदा को अवसर में बदल पाए।”मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की ये भव्य इमारत, पांच पिलर्स पर खड़ी होंगी। पहला स्तंभ है अर्थव्यवस्था, एक ऐसी इकॉनमी जो सिर्फ वृद्धिशील परिवर्तन नहीं बल्कि क्वांटम जंप लाए। उन्होंने कहा कि दूसरा पिलर इंफ्रास्ट्रक्चर, एक ऐसा इंफास्ट्रक्चर जो आधुनिक भारत की पहचान बने। तीसरा पिलर हमारा सिस्टम, चौथा पिलर है हमारी जनसांख्यिकी और पांचवां पिलर डिमांड का है।उन्होंने कहा कि करोना संकट से लड़ते हुए दुनिया को चार महीने से ज्यादा समय बीत गया और इस दौरान दुनियाभर में 42 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हुए व पौने तीन लाख लोगों की मौत हुई। प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत में भी अनके परिवारों ने अपने स्वजन खोए, सबके प्रति संवेदना जताता हूँ। एक वायरस ने दुनिया को तहस-नहस कर दिया, हमने ऐसा संकट ने देखा है न सुना है। मानव जाति के लिए सबकुछ अकल्पनीय है, यह क्राइसिस अभूतपूर्व है।”प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, “हारना, टूटना, बिखरना मानव को मंजूर नहीं। सतर्क रहते हुए हमें बचना भी है और आगे भी बढ़ना है। आज दुनिय जब संकट में है तो अपना संकल्प मजबूत करना होगा। हमारे संकल्प को इस संकट से विराट बनाना होगा। कोरोना संकट के बाद जो दुनिया में स्थिति बन रही है उसे हम निरंतर देख रहे हैं। 21 वीं सदी भारत की हो, यह हमारा सपना ही नहीं बल्कि हम सबकी जिम्मेदारी भी है।”

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