निकाय चुनाव में अकेले पड़े पीसीसी अध्यक्ष प्रीतम सिंह
देहरादून, । जहां निकाय चुनाव को लेकर भाजपा प्रचार पर उतरने के लिए सड़कों पर उतरने लगी है। भाजपा का छोटे से लेकर बड़ा कार्यकर्ता भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए तन मन से काम कर रहा है। ऐसे में कांग्रेस के हालत इसके विपरीत नजर आ रही है। अभी तक हालात यह है कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह अभी तक निकाय चुनाव की सारी व्यवस्थाओं से अकेले जूझ रहे है। बाकी किसी उत्तराखण्ड के बड़े नेता का कुछ अता पता नहीं है। न ही कांग्रेस के महासचिव हरीश रावत अब तक कहीं नजर आए है न ही अन्य कोई नेता। उत्तराखंड निगम चुनावों का बिगुल बज चुका है और सभी दलों के दिग्गज इस समय मैदान में हैं। हालांकि समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी और यूकेडी भी मैदान में हैं लेकिन हमेशा की तरह मुकाबला बीजेपी-कांग्रेस में ही है। बीजेपी जोर-शोर से चुनाव तैयारियों में लग गई है और मुख्यमंत्री भी प्रचार की रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। लेकिन कांग्रेस खेमे में तारतम्य की कमी साफ दिख रही है और पार्टी के स्टार प्रचारक अभी तक मैदान में नहीं उतरे हैं। निकाय चुनावों में कांग्रेस बीजेपी को पटखनी देने का दावा कर रही है। कांग्रेस के नेता तो यह तक कह रहे हैं उनके स्टार प्रचारक बीजेपी पर भारी पड़ेंगे लेकिन पार्टी के प्रदेश के नेता ही प्रचार में सक्रिय नहीं दिख रहे हैं। हालांकि कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी इन दिनों राज्य के दौरे पर हैं लेकिन न तो पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कहीं दिखे हैं और न ही पार्टी के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय की कोई सक्रियता नजर आई है। वैसे पार्टी के दिग्गज नेता और राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत असम के प्रभारी भी हैं और इस समय वह असम के दौरे पर हैं। कहा जा रहा है कि वह दिवाली के बाद प्रचार का हिस्सा बनेंगे. हालांकि अभी इस कोई भी स्पष्ट तौर पर कुछ बताने की स्थिति में नहीं है। उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय तो राज्य में ही हैं लेकिन वह भी कहीं नहीं दिखाई दे रहे हैं. कुल मिलाकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह और थोड़ा बहुत इंदिरा हृदयेश ही इन निकाय चुनावों में सक्रिय हैं। इस बारे में पूछे जाने पर प्रीतम सिंह कहते हैं कि यह किसी का कोई निजी काम नहीं है, पार्टी का काम है और इसमें खुद ही लोगों को बढ़-चढ़ कर भाग लेना चाहिए। हालांकि फिर संभलकर कहते हैं कि हरीश रावत तो पूरे देश में कॉंग्रेस को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं और जल्द ही यहां भी आएंगे। इन निकाय चुनावों को राज्य में 2019 का सेमीफाइनल माना जा रहा है और इनके नतीजों से कांग्रेस ही नहीं प्रीतम सिंह भी निजी रूप से प्रभावित होंगे। इससे उनकी जिताने की क्षमता ही नहीं संगठन पर पकड़ का भी पता चलेगा।