अभिभावक संघ ने मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया

देहरादून, । सरकार ने कोरोनाकाल में 9वीं और 11वीं के साथ ही कक्षा 6 से लेकर 8 तक के बच्चों के लिए स्कूल खोले जाने का फैसला लिया है। इसका अभिभावक संगठनों ने विरोध करना शुरू कर दिया है। अभिभावकों ने सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार किए जाने की अपील की है। प्रदेश सरकार की ओर से स्कूलों को खोले जाने को लेकर नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स (एनएपीएसआर) से जुड़े अभिभावकों ने एक बैठक की। बैठक में बच्चों की शिक्षा के साथ ही उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की गई।
इससे पूर्व भी एनएपीएसआर ने स्कूल खोले जाने को लेकर मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया, अभिभावकों ने अपील करते हुए कहा कि उत्तराखंड में आंध्र प्रदेश जैसी घटना ना दोहराई जाए। एसोसिएशन के अध्यक्ष आरिफ खान ने कहा कि जिस प्रकार से सरकार ने निजी स्कूलों को जिद और अपने राजनीतिक प्रभाव पर खुले रखे थे। उससे रानीखेत में पहले दिन ही 12वीं का छात्र संक्रमित पाया गया, जिस कारण स्कूल को पुनः 3 दिन के लिए बंद करना पड़ा। इससे पता चलता है कि खतरा अभी टला नहीं है और उसके बाद से निरंतर छात्रों व शिक्षकों के साथ ही शिक्षा विभाग के कर्मचारियों के संगठित होने की घटनाएं सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि स्कूलों को खोले जाने का निर्णय हास्यास्पद और जल्दबाजी में बिना अभिभावकों की सहमति से लिया गया फैसला है। स्कूलों को खोले जाने के निर्णय को लेकर अभिभावक संघ सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग कर रहा है। एसोसिएशन का कहना है कि यदि स्कूल खुलने पर बच्चे संक्रमित होते हैं तो इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी और छात्र-छात्राओं का संपूर्ण खर्चा स्कूल को उठाना होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *