हमारा भारत फिर सोने की चिड़िया होने की राह पर चल रहा
भारत में जिस तीव्र गति से नई नई योजनाएं और उन्नति के मार्गपर चलने का सिलसिला जारी है। इससे एक आस बंध गई है कि हमारा भारत फिर सोने की चिड़िया होने की राह पर चल रहा है।… साथियों बात अगर हम पेट्रोल- डीजल,उर्जा की करें तो इस क्षेत्र में बहुतही बड़े सकारात्मक विषय पर रणनीतिक रोड मैप बनाया गया है और फोकस, नेशनल हाइड्रोजन मिशन पर का ऐलान पीएम ने 75 वीं अमृत जयंती स्वतंत्रता दिवस पर कर दिया है और कहा कि, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक दूरगामी योजना को अंजाम देना ही पड़ेगा। जिसकी घोषणा हो चुकी है और अब भारत को पेट्रोल-डीजल ऊर्जा क्षेत्र में प्रोडक्शन और एक्सपोर्ट का अब बनाना ही होगा…। साथियों बात अगर हम हरित हाइड्रोजन की ऊर्जा क्षेत्र में उपलब्धि की करें तो इसकी शुरुआत हो गई है। बिजली मंत्रालय ने प्रारूप बिजली (ग्रीन एनर्जी ओपन एक्सेस के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना) नियमावली, 2021 जारी की है और आम जनता से इस मसौदे पर 30 दिनों के भीतर अपनी राय मांगी है ताकि इसकी प्रक्रिया को आगे बढ़ाकर कैबिनेट में पेश कर एक विधेयक का मसौदा बनाया जा सके।…साथियों बात अगर हम इस मसौदे की करें तो,16 अगस्त 2021 को जारी पीआईबी की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार यह नियमावली का प्रारूप ग्रीन एनर्जी की खपत और खरीदारी को लेकर है। इसमें कचरे से बनाई जाने वाली ऊर्जा के प्लांट को भी शामिल किया गया है। ग्रीन एनर्जी प्लांट से जो ऊर्जा पैदा होगी, उसे किस दर पर कोई खरीद सकता है और उस ऊर्जा की खपत कैसे होगी, नए नियमावली के प्रारूप में इसकी जानकारी दी गई है। प्रारूप नियमावली में रिन्यूएबल परचेज ऑब्लिगेशन, ग्रीन एनर्जी ओपन सोर्स, नोडल एजेंसी, ग्रीन एनर्जी ओपन एक्सेस, बैंकिंग और क्रॉस सब्सिडी सरचार्ज के बारे में जानकारी दी गई है, प्रारूप में, ग्रीन एनर्जी के लिए शुल्क या टैरिफ भी निर्धारित किए जाएंगे। जिसका प्रस्ताव मसौदे में दिया गया है।इसमें बताया गया है कि ग्रीन एनर्जी का टैरिफ एक आयोग तय करेगा जिसका नाम एप्रोप्रिएट कमीशन है। टैरिफ में रिन्यूएबल एनर्जी की परचेज कॉस्ट, क्रॉस सब्सिडी (अगर तय हुआ तो) और सर्विस चार्ज को शामिल किया जा सकता है।ये चार्ज ग्रीन एनर्जी का वितरण करने वाली कंपनियों पर लागू होगा। इसके लिए कंपनियों को सरकार की तरफ से लाइसेंस दिया जाएगा। आम लोगों के लिए नियम इस प्रकार हैं – ग्रीन एनर्जी लेने के लिए लोगों को आवेदन देना होगा जिसे 15 दिन के अंदर मंजूर कर लिया जाएगा। यह नियम सिर्फ उनलोगों के लिए है जिनकी ऊर्जी कीखपत 100 किलोवॉट या उससे अधिक है, वे ही ग्रीन एनर्जी ओपनएक्सेस के जरिये बिजली ले सकेंगे। इसमें सप्लाई की कोई सीमा तय नहीं की जाएगी। हालांकि सप्लाई सीमा की यह छूट तभी मिलेगी जब बिजली की मांग और उसकी खपत में कोई बहुत बड़ा बदलाव न हो। देश में ऊर्जा की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने और कच्चे तेल पर निर्भरता कम करने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन जैसेविकल्पों पर जोर दिया जा रहा है। सरकार ने इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाया है और नेशनल हाइड्रोजन मिशन का ऐलान किया गया है। सरकार में हालिया बजट में भी इसकी घोषणा की है। सरकार की इस पहल का देश की सभी कंपनियों और उद्योगों ने स्वागत किया है। कई बड़ी-बड़ी निजी कंपनियों सहित सरकारी तेल कंपनियों ने भी इसका स्वागत किया है। ये सभी कंपनियां कार्बन मुक्त ईंधन को अपनाने पर जोर दे रही हैं। हाइड्रोजन को सबसेस्वच्छ ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। इसे पैदा करने में कोई झंझट नहीं।यहां तक कि कचरे से भी हाइड्रोजन एनर्जी पैदा की जा सकती है। प्राकृतिक गैस, बायोगैस और सोलर एवं वायु ऊर्जा से भी ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी पैदा की जा सकती है।अभी देश-दुनिया में सबसे ज्यादा चर्चा ग्रीनहाइड्रोजन की है। इसे भविष्य का ईंधन बताया जा रहा है। भारत में पीएम ने नेशनल हाइड्रोजन मिशन का ऐलान किया है। ग्रीन हाईड्रोजन पर बात करते हुए एक केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत ग्रीन हाईड्रोजन का भी एक्सपोट करेगा। ग्रीन हाईड्रोजन को बनाने की प्रकिया पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि टॉयलेट का पानी शुद्ध करके ग्रीन हाईड्रोजन तैयार करेंगे। आज ग्रीन हाईड्रोजन रूपी विकल्प की बहुत तात्कालिक जरूरत है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में ट्रक और बसें भी ग्रीन हाईड्रोजन से चलेंगी।इसके लिए गाड़ियों में फ्यूल सेल लगेंगे। फ्यूल सेल को बैटरी मान सकते हैं जिसमें कैथोड और एनोड नाम के इलेक्ट्रोड लगे होते हैं। इन इलेक्ट्रोड के माध्यम से रासायनिक प्रतिक्रिया होती है और उसी से ऊर्जा पैदा की जाती है। दरअसल फ्यूल सेल ही हाइड्रोजन गैस की खपत करेंगे और ऊर्जा देंगे।अंत में अवशेष के रूप में पानी बचेगा। इसमें धुआं निकलने की गुंजाइश बिल्कुल नहीं है। हाइड्रोजन गैस को पैदा करने के लिए प्राकृतिक गैस, आण्विक ऊर्जा, बायोमास, सोलर और वायु ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाएगा। इस ऊर्जा को कार और बड़ी गाड़ियों में लगा सकते हैं। घरों में भी बिजली के रूप में इसका इस्तेमाल हो सकेगा। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि,देश में ऊर्जा की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए हरित ऊर्जा हाइड्रोजन अत्यंत ही जरूरी हो गया है, इसी लिए प्रारूप बिजली (प्रमोटिंग रिन्यूएबल एनर्जी थ्रू ग्रीन एनर्जी ओपन सोर्सेज) नियमावली 2021 जारी की गई है। भारत में बिजली क्षेत्र में हरित हाइड्रोजन के रूप में एक क्रांति की शुरुआत हो रही है, जिसमें कचरे सहित नवीनीकरण स्रोतों से उर्जा बनाई जाएगी।
-संकलनकर्ता कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र