‘कृषि पारिस्थितिकी तंत्र की मजबूती के लिए तकनीकी के प्रयोग’’ पर कार्यशाला आयोजित
देहरादून, । यूएनडीपी भारत के तत्वावधान में सोमवार को देहरादून के एक स्थानीय होटल में ‘‘उत्तराखण्ड में कृषि पारिस्थितिकी तंत्र की मजबूती हेतु तकनीकी के प्रयोग’’ पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में रिमोट सेंसिंग, आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस तथा बिग डाटा एनालिसिस के माध्यम से कृषि व सम्बन्धित क्षेत्रों में नए तकनीकी अविष्कारों के प्रयोग की सम्भावनाओं पर चर्चा की गई। कृषि क्षेत्र की समस्याओं के निदान में इन तकनीकियों का कैसे प्रयोग किया जाय तथा 2022 तक किसानों की आय दुगनी करने पर विचार- विमर्श किया गया। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि कृषि देश व राज्य की रीढ़ है तथा हमारे समक्ष 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने का लक्ष्य है। उत्तराखण्ड एक छोटा राज्य है। राज्य के 92 प्रतिशत कृषक सीमान्त व लघु किसानों की श्रेणी में है। हमारी अधिकांश कृषि भूमि असिंचित है। राज्य में वन्य प्राणियों द्वारा खेती को हानि पहुंचाने की समस्या भी है। उत्तराखण्ड सरकार ने परम्परागत कृषि विकास योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना तथा इन्टिग्रेटेड एग्रीकल्चर डेवलपमेंट स्कीम संचालित की है। कृषि मंत्री श्री उनियाल ने यूएनडीपी से अनुरोध किया कि कृषि क्षेत्र की बेस्ट पै्रक्टिसीज को उत्तराखण्ड में प्रोत्साहित किया जाय। उन्होंने यूएनडीपी, राज्य के कृषि विभाग के अधिकारियों तथा जीबी पन्त कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को राज्य में कृषि विकास पर एक प्रभावी कार्ययोजना बनाकर कार्य करने का आह्वाहन किया। यूएनडीपी के एडिशनल कंट्री डायरेक्टर डा0 राकेश कुमार ने कहा कि कृषि क्षेत्र के विकास व सुधार में तकनीकी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कृषि क्षेत्र में नवोष्मेशी तकनीको ने उत्पादों की गुणवता सुधार में बड़ा योगदान दिया है। यूएनडीपी इंडिया उत्तराखण्ड राज्य में इस दिशा में प्रयास कर रही है। सचिव कृषि एवं उद्यान उत्तराखण्ड डा0 आर0 मीनाक्षी सुन्दरम ने कहा कि राज्य में कृषि क्षेत्र में डबल डिजिट ग्रोथ संभव है। राज्य में पर्वतीय व मैदानी दोनो प्रकार की भौगालिक स्थितियां मौजूद है। उत्तराखण्ड के स्थानीय उत्पाद जिनकी राष्ट्रीय व अर्न्तराष्ट्रीय बाजारो में भारी मांग है राज्य की ताकत है। उत्पादकों को उनके उत्पादों का अधिकाधिक लाभ मिले तथा मध्यस्थ अनुचित लाभ न कमा सके इसके लिये वितरण प्रणाली में सुधार करने होंगे। कलस्टर बेस्ड फार्मिंग, कलस्टर बेस्ट प्रोडक्शन, कलस्टर बेस्ड मार्केंटिंग को अपनाने की जरूरत है। किसानों की उत्पादकता बढ़ने से मैन्यूफेक्चरिंग क्षेत्र में सुधार होगा। किसानों की आय बढ़ाने हेतु कृषि में नए तकनीकी अविष्कारों को प्रोत्साहित करना होगा। कम्युनिकेशन, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, रिमोट सेंसिग आदि से कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार लाये जा सकते है। उत्तराखण्ड में देश का पहला ‘‘सेक्स सोर्टेड लैब’’ स्थापित किया गया है। यूएनडीपी की प्रतिनिधि सोखा नोडा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, वैश्विक तापन, सूखते जल स्रोतों के कारण पूरे विश्व में कृषि उत्पादकता पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। भारत सरकार ने 2022 तक कृषकों की आय दुगनी करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिये अच्छा बजट आवंटन भी किया है। किसान क्रेडिट कार्ड, सॉयल हैल्थ कार्ड, प्रधानमंत्री किसान बीमा योजना, एसएमएस के माध्यम से किसानों को मौसम पूर्वानुमान व बाजार की जानकारी अच्छे प्रयास है। यह सराहनीय है कि उत्तराखण्ड राज्य में भी कलस्टर बेस्ड अप्रोच को अपनाया जा रहा है। हैस्को के डा0 अनिल जोशी ने कहा कि स्थानीय उत्पादों के माध्यम से स्थानीय आर्थिकी को मजबूती प्रदान करना बहुत आवश्यक है। इस अवसर पर तकनीकी विशेषज्ञ डा0 अभीजित बासु ने कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीकी व संचार तकनीकी के प्रयोग पर प्रस्तुतीकरण दिया। कार्यशाला में कृषि विभाग के अधिकारी व विभिन्न कृषि वैज्ञानिक व अनुसंधानकर्ता उपस्थित थे।