जिंदगियां संवारने में जुटा बुजुर्ग प्लास्टिक सर्जन
देहरादून, [सुकांत ममगाईं]: मुश्किल जरूर है, मगर ठहरा नहीं हूं मैं, मंजिल से कह दो कि अभी पहुंचा नहीं हूं मैं…। दून के एक बुजुर्ग चिकित्सक डॉ. योगी ऐरन इन्हीं पंक्तियों को चरितार्थ करते आगे बढ़ रहे हैं। पहाड़ों इलाकों में जंगल की आग और जानवरों के हमले में कई लोग घायल होते हैं। कुछ का चेहरा बिगड़ जाता है। शरीर विकृत हो जाता है। तब प्लास्टिक सर्जरी ही एकमात्र उपाय होता है, जिसके जरिये पीड़ित व्यक्ति नई जिंदगी पा सकता है। लेकिन पहाड़ों, जंगलों में रहने वाले ग्रामीणजन आर्थिक तौर पर इतने सक्षम नहीं होते कि वे किसी अच्छे प्लास्टिक सर्जन के पास पहुंच सर्जरी करा सकें। ऐसे में 80 साल के बुजुर्ग प्लास्टिक सर्जन डॉ. योगी ऐरन उनके लिए किसी देवदूत से कम नहीं हैं।
लौटाई हजारों चेहरों की मुस्कान:
कभी अमेरिका में प्लास्टिक सर्जन रह चुके यह बुर्जुगवार दून में पिछले 11 साल से मानवता की सेवा करने में जुटे हुए हैं। वे अब तक चार हजार से अधिक लोगों की निशुल्क प्लास्टिक सर्जरी कर चुके हैं। वह कहते हैं कि जलने या जानवर के हमले में घायल होने के कारण शारीरिक विकृति से जूझ रहे लोगों को दोबारा वही काया पाकर न सिर्फ नया जीवन, बल्कि सामान्य जीवन जीने का एक हौसला भी मिलता है।
डॉ. योगी के हाथ में ऐसा हुनर है कि किसी बड़े शहर में अपना अस्पताल खोलकर मोटी कमाई कर सकते हैं, पर उन्होंने जीवन गरीबों की सेवा में समर्पित कर रखा है। देहरादून-मसूरी रोड स्थित कुठालगेट के पास जंगल मंगल में उनकी अपनी पुश्तैनी जमीन है। वे यहीं रहना पसंद करते हैं। यहां पर उन्होंने छोटा सा क्लीनिक बनाया है। जहां मरीजों का निशुल्क उपचार करते हैं। डॉ. योगी कहते हैं कि इस उम्र में मुझे धन-दौलत की नहीं बल्कि आत्मिक शांति और सुकून की जरूरत है। लोगों की मुस्कान और दुआ के रूप में मुझे यह भरपूर मिल रहा है।
अमेरिकी डॉक्टर भी आए साथ:
डॉ. योगी 1966 से 1984 तक अमेरिका में प्रेक्टिस किया करते थे। 1984 में वे अपनी जड़ों में वापस लौट आए। हालांकि कुछ अमेरिकी सर्जन अब भी उनसे जुड़े हुए हैं और उनकी इस मुहिम का हिस्सा भी बन गए हैं। योगी ने इस काम को बड़ा स्वरूप देने के लिए हेल्पिंग हैंड नाम से एक संस्था भी शुरू की है। जो अमेरिकी चिकित्सकों की मदद से निशुल्क सर्जरी कैंप का आयोजन करती है। इस मुहिम के तहत योगी ने अब एक कदम और बढ़ाया है। देहरादून में सहस्रधारा रोड पर आइटी पार्क के निकट योगीज हेल्पिंग हैंड नाम से एक हॉस्पिटल उन्होंने शुरू किया है। अब यहां भी जरूरतमंदों का निशुल्क इलाज हो रहा है।
जीविका के लिए पार्ट टाइम जॉब:
डॉ. योगी बताते हैं कि उनका एक बेटा कुश उत्तराखंड में ही डॉक्टर है, लेकिन वह अपनी जीविका के लिए उस पर निर्भर नहीं है। वह कहते हैं, मुझे अपना भी खर्च चलाना होता है। लिहाजा निजी अस्पतालों में पार्ट टाइम प्लास्टिक सर्जरी कर लेता हूं। सर्जरी करते-करते मुझे पांच दशक हो चुके हैं, इसलिए ऑपरेशन कितना ही जटिल क्यों न हो, कभी न नहीं बोलता। इसीलिए लोग मुझे पार्ट टाइम काम दे देते हैं।
News Source: jagran.com