…क्या बेटे की अर्थी उठाने के लिए जीवित हूं, मुख्यमंत्री मनोहर लाला को किया ट्वीट

गुरुग्राम । क्या मैं बेटे की अर्थी उठाने के लिए जीवित हूं। जीवन में ऐसा दिन क्यों आया। बेटे ने कभी किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा। किसी से कभी कहासुनी तक नहीं हुई। फिर क्यों की गई उसकी हत्या। अब मैं क्यों जीवित हूं। यही सवाल रमेश विज के पिता जीआर विज पोस्टमार्टम हाउस में रोते हुए अपने आप से कर रहे थे। पड़ोसियों ने ढांढस बढ़ाने की कोशिश लेकिन उनकी आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहा था। वह बार-बार यही कह रहे थे कि आखिर मेरे बेटे को किसने व क्यों मारा?

बुधवार रात मानेसर के सेक्टर तीन स्थित नगाटा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रमेश विज की हत्या ने पूरे परिवार को ही नहीं बल्कि पड़ोसियों से लेकर कंपनी में काम करने वाले श्रमिकों को भी झकझोर कर रख दिया है। पिता जीआर विज यह कहते हुए भी बार-बार रो रहे थे कि बुधवार रात पोती का जन्मदिन था। उसकी पार्टी करनी थी।

संभवत इसके लिए एटीएम से पैसे निकालने के लिए बेटा घर से निकला था। कुछ ही देर बाद उन्हें बताया गया कि आपका बेटा नहीं रहा। आखिर न तो उन्होंने किसी का कभी कुछ बिगाड़ा और न ही उनके बेटे ने ही। फिर क्यों मार दिया?

रिश्तेदार नरेश सहगल ने बताया कि रमेश विज जैसे सज्जन लोग आज के समय में बहुत कम हैं। उन्हें नहीं लगता है कि कभी किसी को विज ऊंची आवाज में डांटा भी होगा। समझ में नहीं आता है फिर हत्या क्यों की गई। इस तरह हत्या होना यह दर्शाता है कि बदमाश बेखौफ हैं। किसी को कहीं भी मार सकते हैं। इस बारे में उन्होंने मुख्यमंत्री को ट्वीट कर सवाल भी किया है।

कंपनी के अधिकारियों से लेकर श्रमिक तक हैरान

कंपनी के अधिकारियों से लेकर श्रमिक तक रमेश विज की हत्या से हैरान हैं। किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा है। पोस्टपार्टम हाउस पहुंचे कुछ अधिकारियों ने बताया कि रमेश विज ने किसी अधीनस्थ अधिकारियों की बात दूर श्रमिकों को भी कभी ऊंची आवाज में डांट नहीं लगाई होगी। हमेशा मुस्कुराते रहते थे। कहीं भी कुछ गड़बड़ी दिखाई देती थी तो वे प्यार से नजदीक आकर समझाते थे। श्रमिकों ने बताया कि वे उनलोगों का बहुत ध्यान रखते थे। चलते-चलते हाल-चाल पूछ लेते थे।

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