कभी अपनों ने घेरा तो कभी परायों ने छेड़ा, AAP का विवादों से है पुराना नाता

नई दिल्ली । 2015 में विधानसभा की 70 में से 67 सीटें जीतकर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई आम आदमी पाटी (आप) का विवादों के साथ पुराना नाता रहा है। शायद ही कोई ऐसा मौका रहा हो जब ‘आप’ विवाद के बीच खड़ी न दिखाई दी हो। मुश्किलें लगातार बढ़ती रहीं और पार्टी के साथ सीएम केजरीवाल को भी एक साथ कई मोर्चों पर जूझना पड़ा।

एक वक्त था जब आम आदमी पार्टी को दिल्ली में स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद माना जा रहा था कि पार्टी देशभर में तेजी से बढ़ेगी, लेकिन चंद दिनों बाद संस्थापक सदस्य योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के साथ सीएम केजरीवाल के झगड़े के कारण पार्टी निरंतर विवादों में घिरती गई। यहीं से आप में शुरू हुए विवाद कभी थमे ही नहीं। कमोबेश हालात अब भी ऐसे ही बने हुए हैं जहां पार्टी को बाहर और भीतर दोनों ही मोर्चों पर टकराव का सामना करना पड़ रहा है। सरकार के स्तर पर भी नई मुश्किलें परेशानी का सबब बनी हुई हैं।

‘आप’ सरकार के कई ऐसे विवाद रहे हैं जिसने पार्टी की नींव को हिलाकर रख दिया, कभी अपने दूर हो गए तो कभी परायों को अपनों से अधिक महत्व दिया गया। सियासी समीकरण बदलते रहे और पार्टी में अदरूनी कलह कई मौकों पर सतह पर आ गई। आइए जानते है ‘आप’ सरकार से जुड़े मुख्य विवाद कौन-कौन से थे।

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