अयोध्या विवाद पर BJP सांसद का बड़ा बयान- अक्टूबर तक शुरू होगा राम मंदिर का निर्माण
नई दिल्ली । जहां एक ओर सात वर्षों से लंबित अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है वहीं, अदालत के बाहर भी सुलह की कोशिशें जारी हैं। इस बीच भारतीय जनता पार्टी के नेता और राज्यसभा में सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने बड़ा बयान दिया है। दिल्ली विश्वविद्यालय के सेमिनार हॉल में बतौर मुख्य वक्ता उन्होंने कहा कि भगवान राम हमारे राष्ट्र की अवधारणा का प्रतीक हैं। अक्टूबर तक राम मंदिर बनना शुरू हो जाएगा। यह बात किसी भावना में बहकर नहीं, बल्कि तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर बोल रहा हूं।
वह यहां अरुंधती वशिष्ठ अनुसंधान पीठ द्वारा आयोजित भारतीय एवं पाश्चात्य राष्ट्र दृष्टि सेमिनार को बतौर अध्यक्ष संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट में हमारे द्वारा रखे गए साक्ष्य और गवाहों का दोबारा से अवलोकन किया जाना है, उसके लिए बहस की जरूरत नहीं है।
विवादित बयानों के लिए भा जाने जाते रहे सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि हमारा कहना है कि अक्टूबर तक राम मंदिर का निर्माण प्रारंभ हो जाएगा। यह धर्म का विवाद नहीं, बल्कि भूमि विवाद है। उसी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट हमारे पक्ष में निर्णय देगा।
कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने धर्म और रिलीजन को अलग-अलग बताते हुए कहा कि वियना कंवेन्शन से पहले पाश्चात्य जगत में लोग नेशन को नहीं जानते थे। भारत में राष्ट्र शब्द ऋग्वेद से है, जबकि पश्चिम में यह 16वीं सदी में आया।
उन्होंने धर्म की व्याख्या करते हुए कहा कि जब राजा और प्रशासन नहीं था तब लोग धर्म से संचालित होते थे। इसी के अनुसार प्रजा काम करती थी। यह धर्म जोड़ने वाला है।
वहीं, रिलीजन में एक ईश्वर की आवश्यकता होती है शायद इसीलिए युद्ध होता है, लेकिन धर्म की परिकल्पना व्यापक है और यह सबको जोड़ने वाला है।
हमारे राष्ट्र की परिकल्पना धर्म पर आधारित है। अमेरिका अभी राष्ट्र नहीं बन पाया। उन्होंने महर्षि अरविंद के हवाले से कहा कि हमारी विशेषता हमारा धर्म है। जैसे-जैसे सनातन धर्म का उदय होता है वैसे-वैसे भारत का उदय होता है।
बता दें कि पिछली सुनाई में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा था कि इसे भूमि विवाद के तौर पर देखा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि भावनात्मक और राजनीतिक दलीलें नहीं सुनी जाएंगी। यह केवल कानूनी मामला है। 100 करोड़ हिंदुओं की भावनाओं का ध्यान रखने की दलील दी गई थी।
कोर्ट में 87 सबूतों को जमा किया गया है। इसमें रामायण और गीता भी शामिल है। कोर्ट ने कहा कि इनके अंशों का अनुवाद किया जाए। यह भी स्पष्ट किया कि राम मंदिर पक्ष से अब कोई नया पक्ष नहीं जुड़ेगा। जिन लोगों की मौत हो चुकी है, उनका नाम हटाया जा रहा है।