2018 में करवट लेगी राजनीति?
नई दिल्ली । गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजों में भले ही बीजेपी को जीत मिली हो, लेकिन पूरे साल कमजोर नजर आई कांग्रेस ने कड़ी टक्कर देकर भविष्य की राजनीति के संकेत दे दिए। 1995 से ही इस सूबे में लगातार मजबूती हासिल कर रही बीजेपी को 99 सीटों के साथ दोहरे अंकों में ही रुकना पड़ गया। पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के गृह राज्य में कांग्रेस को 80 सीटें मिलना देश की राजनीति में संतुलन की शुरुआत माना जा रहा है। सवाल यह है कि क्या 2018 में राजनीति में संतुलन स्थापित होगा, जिसमें 2014 के बाद से बीजेपी हावी दिख रही है।
2018 में देश के 8 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें से तीन राज्यों (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान) में बीजेपी की सत्ता है। राजस्थान की 200 में 163 विधानसभा सीटों के साथ बीजेपी मजबूती के साथ सरकार चला रही है। मध्य प्रदेश में सीएम शिवराज सिंह चौहान चौथे कार्यकाल के लिए उतरेंगे, जबकि छत्तीसगढ़ में 2003 से ही रमन सिंह सीएम हैं। इसके अलावा अन्य बड़े राज्यों की बात करें तो कर्नाटक में कांग्रेस की सत्ता है। पूर्वोत्तर के 4 राज्यों मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा और मिजोरम में भी फरवरी से दिसंबर 2018 के बीच चुनाव होने हैं।
इसके बाद 2019 में संसदीय चुनाव होने हैं। इन 8 राज्यों से लोकसभा के 99 सांसद आते हैं। यह संयोग ही है कि बीजेपी ने गुजरात के विधानसभा चुनाव में इतनी ही सीटें हासिल की हैं। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों ही ऐसे राज्य हैं, जहां बीजेपी जीती तो चौथी बार सरकार बनाएगी। ऐसे में सत्ताधारी दल के लिए इन दोनों ही राज्यों में ऐंटी-इनकम्बैंसी सबसे बड़ी चुनौती होगी।
राजस्थान की बात करें तो यहां हर 5 साल बाद सत्ता बदलने का इतिहास रहा है। हाल के दिनों में स्थानीय निकाय के चुनाव में कांग्रेस ने कई सीटों पर बीजेपी को मात दी है। पूर्वोत्तर की बात करें तो यहां की जनजातीय बेल्ट में पैर पसारने के लिए बीजेपी कड़ी मेहनत कर रही है। दक्षिण भारत में कर्नाटक इकलौता ऐसा राज्य है, जहां कांग्रेस पार्टी की सत्ता है। लेकिन, यहां कांग्रेस और बीजेपी दोनों के ही लिए चुनौती कठिन होगी।
हालांकि गुजरात के नतीजों ने पीएम मोदी की लहर को थोड़ा कमजोर जरूर किया है। 2014 में आसान बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता पर आने वाली बीजेपी को पीएम के गृह राज्य में झटका लगना उसके लिए चिंता का सबब हो सकता है। बहरहाल 2018 में होने वाले राज्यों के चुनाव यह तय करेंगे कि गुजरात में कमजोर प्रदर्शन के बाद बीजेपी ने अपनी रणनीति कितनी सुधारी है या फिर कांग्रेस गुजरात के उत्साह को कितना आगे ले जाने में सफल रही है।