नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (एनआईयूए) ने पहुंच, सुरक्षा और समावेशिता के आधार पर शहरों के निर्माण के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी- रुड़की के साथ सार्वजनिक परामर्श का आयोजन किया
रुड़की,। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (एनआईयूए) ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की के सहयोग तथा आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के समर्थन से भारत में निर्मित पर्यावरण तक सार्वभौमिक पहुंच (यूनिवर्सल एक्सेसिबिलिटी इन बिल्ट एनवायरनमेंट इन इंडिया) सुनिश्चित करने वाले दिशानिर्देशों और मानकों में संशोधन के लिए पब्लिक कंसल्टेशन मीटिंग का सफलतापूर्वक आयोजन किया। बैठक ‘बिल्डिंग एक्सेसिबल, सेफ इंक्लूसिव इंडियन सिटीज’ (बीएएसआईआईसी) कार्यक्रम (एफ सीडीओ, यूके सरकार द्वारा समर्थित) की पृष्ठभूमि में अयोजित की गई।बैठकें 22 अप्रैल, 2021 को दिव्यांगों, बुजुर्गों और उनकी देखभाल करने वाले व्यक्तियों तथा 24 अप्रैल, 2021 को महिलाओं, बच्चों (दिव्यांग तथा अन्य) और उनकी देखभाल करने वालों के साथ वर्चुअल रूप में आयोजित की गई। इन परामर्श बैठकों का व्यापक उद्देश्य- 1. पहचान किए गए समूहों की जीवन के विभिन्न पहलुओं से जुड़े विविध आवश्यकताओं को समझना; 2. बुनियादी शहरी ढांचे और सेवाओं तक पहुंच ना होने के कारण रोजमर्रा के जीवन में उनके सामने आने वाली समस्याओं को समझना; 3. दिशानिर्देशों में सुधार के लिए उनके अनुभवों से सीख तथा सुझाव लेना। चर्चा को सहायक / स्मार्ट प्रौद्योगिकि थीम के साथ आवासीय, स्वास्थ्य सेवा, मोबिलिटी, शिक्षा, रोजगार और मनोरंजन में विभाजित किया गया था, जो शहरी जीवन के पांच महत्वपूर्ण घटक हैं। प्रत्येक दिन देश भर से 40 से अधिक प्रतिभागियों ने इन बैठकों में भाग लिया और अपने विचार तथा अनुभव साझा किए। प्रो. अजीत के चतुर्वेदी, निदेशक-आईआईटी रुड़की, ने कहा,” एनआईयूए के सहयोग से, आईआईटी रुड़की का उद्देश्य लोक-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ सुलभ वातावरण ( यूनिवर्सल एक्सेसिबिलिटी इन बिल्ट एनवायरनमेंट इन इंडिया) के निर्माण को बढ़ावा देना है। कार्यशालाओं में दिव्यांगजनों, बुजुर्गों, उनकी देखभाल करने वालों, महिलाओं और बच्चों सहित विभिन्न समूहों की भागीदारी देखी गई। इन सत्रों से निर्मित वातावरण में यूनिवर्सल एक्सेसिबिलिटी के लिए हार्मोनाइज्ड गाइडलाइंस का विकास होगा। “इन चर्चाओं में प्रमुख समस्याएं शामिल थीं:- आयु के अनुसार आवास / अपार्टमेंट डिजाइन में उपयुक्त सुविधाएँ; देखभाल करने वालों के लिए आवास / सुविधाएं, व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा, मिश्रित भूमि-उपयोग से जुड़े विकास का महत्व, घर में मानव जीवन से जुड़ी सुविधाओं की कमी, सड़कों और सार्वजनिक स्थानों का रखरखाव, रैंप की अनुपस्थिति और फर्श में स्लीपर मैटीरियल का उपयोग, आदि। इन समस्याओं के लिए सुझाव: घर के लिए योजना में एज- फ्रैंडली घटक शामिल करना, सार्वजनिक परिवहन में सूचना प्रणाली में सुधार, नियमित अंतराल पर रेस्ट एरिया, आसपास के पार्कों में वरिष्ठ नागरिक के लिए जगह, बच्चों के खेलने के क्षेत्रों के लिए उपयुक्त सामग्री और बेहतर डिजाइन का उपयोग, बाजार तक पहुंच को आसान करना, शैक्षिक संस्थानों के लिए ऑडिटिंग फ्रेमवर्क, आसान पहुंच वाला शौचालय और सार्वजनिक भवन तथा आसान संचार प्रणाली, बच्चों और नर्सिंग माताओं के लिए उचित साइनेज और सुविधाओं पर चर्चा की गई। अनुचित कार्यान्वयन, समाज / चिकित्सकों में संवेदनशीलता की कमी और कड़े निगरानी तंत्र की आवश्यकता दोनों परामर्शों में मुख्य समस्या के रूप में सामने आया।एनआईयूए के निदेशक श्री हितेश वैद्य ने कहा “शहर सभी के लिए है। हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम संवेदनशील जनसंख्या समूहों यानी बच्चों, बुजुर्गों और दिव्यांग व्यक्तियों की जरूरतों के प्रति अधिक जागरूक हों। समावेशी नियोजन के प्रमुख तत्वों में से एक सामूहिक भागीदारी है। परामर्श न केवल समावेशी और सार्वभौमिक पहुंच को मुख्यधारा में लाने के लिए एक व्यावहारिक उपकरण के रूप में कार्य करेगा, बल्कि भविष्य के शहरों को अधिक सुलभ और समावेशी बनाने के लिए रणनीतियों को विकसित करने के लिए इनपुट प्रदान करेगा। “इस परामर्श का नेतृत्व एनआईयूए के श्री उत्सव चौधरी और सुश्री कनिका बंसल ने किया, इनके साथ डॉ. गौरव रहेजा, प्रोफेसर-आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग, आईआईटी रुड़की भी संचालन में शामिल थे। यह प्रयास दोनों संस्थानों के बीच एक मौजूदा एमओयू का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य दिव्यांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी), बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों के लिए भारतीय शहरों को अधिक सुलभ, सुरक्षित और समावेशी रूप से तैयार करने के लिए रणनीति बनाना है। इन गतिविधियों को आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा लगातार समर्थन और निर्देशन प्रदान किया जाता है। इन परामर्शों से सार्वभौमिक डिजाइन और समावेशी योजना के द्वारा दिव्यांग और बुजुर्गों के लिए मौजूदा हार्मोनाइज्ड दिशानिर्देश और स्पेस मानकों में उपयुक्त संशोधनों का सुझाव प्राप्त होगा।ब्रिटेन सरकार द्वारा समर्थित एनआईयूए का बीएएसआईआईसी कार्यक्रम, भारतीय स्मार्ट शहरों में “पहुंच, सुरक्षा, समावेश” को बढ़ावा देने का प्रयास करता है। कार्यक्रम के तहत, एनआईयूए ने ” टेक्निकल असिस्टेंस एंड सपोर्ट यूनिट ” की स्थापना की है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय शहरों को पहुंच, सुरक्षा और समावेशिता के सिद्धांतों पर समय पर तकनीकी सहायता और मार्गदर्शन दिया जा सके।