कोर्ट के सुप्रीम फैसले का दिल्ली में महिलाओं ने किया स्वागत, बढ़ेगा आत्मविश्वास
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट के तीन तलाक पर रोक के फैसले का मुस्लिम समाज के लोगों ने स्वागत किया है। खासकर महिलाओं का कहना है कि इस फैसले से विवाहित महिलाओं के अधिकारों की अब पूरी रक्षा हो सकेगी। ऐसे कई मामले सामने आते थे, जिसमें पुरुष मनमाने तरीके से तीन बार तलाक कहकर महिलाओं से अपना नाता तोड़ लेते थे, लेकिन अब तीन तलाक देने पर रोक के बाद महिलाएं समाज में खुद को ज्यादा सुरक्षित समझेंगी और समाज की तरक्की में बराबरी से योगदान दे सकेंगी।
पेशे से शिक्षिका शबाना अकबर खान बताती हैं कि कोर्ट का यह फैसला महिलाओं के हक में दिया गया अच्छा फैसला है। तीन तलाक देने के नाम पर कई लोग महिलाओं का शोषण करते थे। निशा बताती हैं कि इस फैसले से महिलाओं में आत्मविश्वास का संचार होगा। वहीं, शमां बताती हैं कि यह फैसला महिलाओं के हितों को ध्यान में रखकर लिया गया स्वागत योग्य फैसला है।
कुछ इस तरह लोगों ने दी प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दूरगामी असर होगा
नीलोफर कहती हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दूरगामी असर होगा। महिलाएं अपने अधिकारों की रक्षा मजबूती के साथ कर सकेंगी। यह सही है कि तलाक जैसी स्थिति एकाएक नहीं आती। गलती दोनों तरफ से होने पर ही तलाक की नौबत आती है, लेकिन यह भी सही है कि अधिकांश मामलों में महिलाएं बेगुनाह होती हैं और उन्हें बेवजह तलाक देकर अकेला छोड़ दिया जाता था।
बेबस थीं महिलाएं
शबा अजहर का कहना है कि धार्मिक ग्रंथों में तलाक के बारे में कहा गया है कि आप एक ही बार में तीन बार तलाक नहीं कह सकते हैं। लेकिन हो इसके विपरीत रहा था। लोग नशे में, वाट्सएप पर, ईमेल पर, फोन पर तलाक दे देते थे। ऐसे में महिलाएं बेबस थीं। उन्हें उनके हक से पूरी तरह वंचित कर दिया जाता था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला महिलाओं के हक में उठाया गया एक सही फैसला है।
महिलाओं के अधिकारों की रक्षा होगी
सैय्यद कमरूद्दीन का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसला सही है। तीन बार तलाक का जिक्र किसी धार्मिक ग्रंथ में नहीं है। धार्मिक ग्रंथों में तलाक का तो जिक्र है लेकिन तीन बार तलाक देने की बात कहीं नहीं लिखी है। लोग शराब के नशे में, मामूली बातों पर भी तलाक दे दिया करते थे। कई लोग दूसरा विवाह करने के लिए कोई बहाना बनाकर तीन बार तलाक कहकर पत्नी से किनारा कर लेते थे। यकीनन कोर्ट के इस फैसले से महिलाओं के अधिकारों की रक्षा हो सकेगी।
तरक्की करेगा समाज
इरशाद हुसैन कहते हैं कि समाज तब तक तरक्की नहीं करेगा जब तक कि महिलाएं पुरुषों के साथ बराबरी का योगदान नहीं देतीं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले सें महिलाओं को बराबरी का दर्जा प्राप्त हुआ है। अब वे समाज की तरक्की में बराबरी का योगदान दें सकेंगी।