MODI100: GDP आंकड़ों को लेकर विपक्षी ही नहीं साथी दल भी घेर रहे हैं सरकार को

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एक बार फिर से सत्ता में वापसी करने वाली भाजपा ने 2019 में इतिहास रच दिया। इसी के साथ मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल शुरू हो गया और सभी मंत्री और नेता अपने-अपने काम में जुट गए। लेकिन एक समस्या थी एक तरफ देश खुश था और दूसरी तरफ ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी की वजह से अर्थव्यवस्था बीमार थी। सरकार फिर भी संभलने का प्रयास कर रही थी और रास्ता तलाश कर रही थी कि इससे कैसे बाहर निकला जाए। इसी बीच सरकार को एक बड़ा झटका लगा, जिसने विपक्षियों को एक मौका दिया कि अब सरकार को घेरा जाए। वो झटका था जीडीपी में आई गिरावट का…देश की आर्थिक वृद्धि दर 2019-20 की अप्रैल-जून तिमाही में घटकर पांच प्रतिशत रह गयी। यह पिछले छह साल से अधिक अवधि का न्यूनतम स्तर है। विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट और कृषि उत्पादन की सुस्ती से जीडीपी वृद्धि में यह गिरावट आई है। इससे पहले वित्त वर्ष 2012-13 की जनवरी से मार्च अवधि में देश की आर्थिक वृद्धि दर सबसे निचले स्तर 4.9 प्रतिशत पर रही थी। एक साल पहले 2018-19 की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर आठ प्रतिशत के उच्च स्तर पर थी। जबकि इससे पिछली तिमाही यानी जनवरी से मार्च 2019 में वृद्धि दर 5.8 प्रतिशत रही थी। जीडीपी ग्रोथ छह साल के निचले स्तर पर आने के बाद विपक्षियों ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया और कहा कि मोदी है तो मुमकिन है। यह ऐसा वक्त था जब खुद सरकार को भाजपा नेता का साथ नहीं मिला। जाने माने अर्थशास्त्री और भाजपा के दिग्गज नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि यदि नई आर्थिक नीति को जल्द लागू नहीं किया गया तो फिर 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने के लक्ष्य तक हम नहीं पहुंच सकते हैं। इसी के साथ उन्होंने कहा कि यदि कोई नई आर्थिक नीति नहीं आने वाली है तो 5 ट्रिलियन को अलविदा कहने के लिए तैयार हो जाओ। न तो अकेला साहस या केवल ज्ञान अर्थव्यवस्था को क्रैश होने से बचा सकता है। इसे दोनों की जरूरत है। आज हमारे पास कुछ नहीं है।सुब्रमण्यण स्वामी का यह बयान किस दिशा की तरफ इशारा कर रहा है। इसके बारे में विचार करने की आवश्यकता है। स्वामी ने कहा कि साहस और ज्ञान ही अर्थव्यवस्था को क्रैश करने से बचा सकता है तो क्या हम यह समझे कि स्वामी ने वित्त मंत्री के ज्ञान पर सवाल खड़ा कर दिया यदि ऐसा है तो फिर स्वामी किसे अर्थशास्त्री के तौर पर देखना चाहते हैं यह तो खैर वही बेहतर बता पाएंगे।आर्थिक हालातों को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सरकार को घेरा तो है ही लेकिन सुझाव भी दिए हैं। उन्होंने कहा कि जीडीपी वृद्धि दर में गिरावट आ रही है। निवेश की दर स्थिर है। किसान संकट में हैं। बैंकिंग प्रणाली संकट का सामना कर रही है। बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। भारत को पांच हजार अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए हमें एक अच्छी तरह से सोची समझी रणनीति की जरूरत है। अब आप सोच रहे होंगे कि सुझाव क्या था तो चलिए वो भी पढ़ लें आप… मनमोहन सिंह का सुझाव है कि सरकार को आतंकवाद रोकना चाहिए, भिन्न विचारों वाली आवाजों का सम्मान करना चाहिए और सरकार के हर स्तर पर संतुलन लाना चाहिए। साथ ही कहा कि आने वाले समय में लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए देश को ज्ञानवान, सिद्धांतवादी व और दूरदर्शी नेताओं की जरूरत है।

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