अटलजी के सपनों को साकार कर रहे हैं मोदी, 370 और CDS दो महत्वपूर्ण पहलें

पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की पहली पुण्यतिथि पर उनके स्मारक सदैव अटल पर आज सुबह एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और वाजपेयीजी के परिवार के सदस्यों और अन्य लोगों ने भजन और भक्ति संगीत के बीच दिवंगत भाजपा नेता को श्रद्धांजलि दी। सदैव अटल स्मारक पिछले साल दिसंबर में राष्ट्र को समर्पित किया गया था। इसके मध्य में काले रंग के ग्रेनाइट पत्थर से वाजपेयी की समाधि बनाई गई है और बीच में एक दीया रखा गया है। हवा से बचाने के लिए इस दीये को थोड़ी ऊंचाई पर ढक दिया गया है। गौरतलब है कि वाजपेयीजी का पिछले साल 16 अगस्त को 93 वर्ष की उम्र में एम्स में निधन हो गया था। वाजपेयीजी की पहली पुण्यतिथि पर आज भाजपा नेता और कार्यकर्ता ही नहीं अन्य पार्टियों के लोग भी उनकी समाधि पर पहुँच रहे हैं। यही नहीं देश के विभिन्न दलों के राजनेताओं, मुख्यमंत्रियों, राज्यपालों ने ट्वीटर पर अटलजी को श्रद्धांजलि दी और इसके अलावा देशभर में कई जगहों पर अटलजी की याद में कार्यक्रम आयोजित किये गये।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो सुबह-सुबह ही अटलजी की समाधि स्थल पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम की तसवीरें साझा कीं। प्रधानमंत्री मोदी सदैव अटल स्मारक को प्रेरणा और ऊर्जा का केंद्र भी मानते हैं। लोकसभा चुनावों में भारी विजय हासिल करने के बाद मोदी नयी सरकार के गठन से पहले सभी भाजपा सांसदों के साथ यहाँ आये थे। प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से जो घोषणाएं कीं उनमें प्रमुख घोषणा है चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद सृजित करने की। यह सपना अटलजी का था जिसे मोदी पूरा करने जा रहे हैं। जनसंघ और भाजपा नेताओं ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए हटाने का भी सपना देखा था जिसे हाल ही में सरकार ने साकार किया है।
बहरहाल, अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे करिश्माई राजनेता थे जिन्होंने राजनीति में तो बुलंदियों को छुआ ही, साथ ही अपने ‘कवि मन’ से उन्होंने साथी नेताओं और आम जनता, दोनों के दिलों पर राज किया। दिवंगत नेता वाजपेयीजी का कवि मन अक्सर उनकी कविताओं के जरिए प्रदर्शित होता था। वाजपेयीजी जब संसद को संबोधित करते थे तो न सिर्फ उनके सहयोगी दल बल्कि विपक्षी पार्टियों के नेता भी उनकी वाक्पटुता की प्रशंसा से खुद को रोक नहीं पाते थे। जब वह रैलियों को संबोधित करते थे तो उन्हें देखने-सुनने आई भीड़ की तालियों की गड़गड़ाहट आसमान में गुंजायमान होती थी। वाजपेयीजी ने अपने पूरे जीवन काल में राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा और सभी दलों के नेता उनके प्रशंसक थे। संसद में दिये उनके सभी भाषण आज भी प्रासंगिक हैं लेकिन उनके कुछ वक्तव्य ऐसे हैं जो वर्तमान और आने वाली सरकारों के लिए पथ प्रदर्शक बन गये हैं। आइए डालते हैं श्रद्धेय अटलजी के जीवन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर एक नजर-
– अटलजी की पहली पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देने समाधि स्थल पहुँचे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री
– लंबी बीमारी के बाद दिल्ली के एम्स में 93 वर्ष की आयु में वाजपेयी का निधन हुआ था
– युग पुरुष अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म ग्वालियर में 25 दिसम्बर 1924 को हुआ था
– अटल बिहारी वाजपेयी एक प्रखर वक्ता और कवि भी थे, यह गुण उन्हें उनके पिता से मिले
– वाजपेयी ने पत्रकार के रूप में भी काम किया और अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया
– पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनसंघ और भाजपा के संस्थापक सदस्य थे
– अटलजी ने लंबे समय तक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के साथ काम किया
– अटल बिहारी वाजपेयी सन् 1968 से 1973 तक भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे
– वाजपेयी 1957 के लोकसभा चुनावों में पहली बार उत्तर प्रदेश की बलरामपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीते थे
– अटलजी 1957 से 1977 तक लगातार जनसंघ की ओर से संसदीय दल के नेता रहे
– वाजपेयी ने अपने ओजस्वी भाषणों से देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू तक को प्रभावित किया था
– स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी को अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में दुर्गा की उपमा से सम्मानित किया था
– 1975 में इंदिरा गाँधी द्वारा आपातकाल लगाने का अटल बिहारी वाजपेयी ने खुलकर विरोध किया था
– मोरारजी सरकार में अटल बिहारी वाजपेयी को विदेश मंत्री जैसा महत्वपूर्ण विभाग दिया गया
– अटल बिहारी वाजपेयी ने विदेश मंत्री रहते पूरे विश्व में भारत की अलग छवि बनायी
– वाजपेयी विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देने वाले देश के पहले वक्ता बने
– 1980 में अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने
– 1996 में भाजपा द्वारा संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद अटलजी देश के प्रधानमंत्री बने
– लेकिन अटल जी 13 दिन तक ही देश के प्रधानमंत्री रहे। उन्होंने अल्पमत सरकार का त्यागपत्र राष्ट्रपति को सौंप दिया
– 1998 में भाजपा फिर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और अटल बिहारी वाजपेयी दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने
– 13 महीने बाद तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय जयललिता के समर्थन वापस लेने से उनकी सरकार गिर गयी
– वाजपेयी ने पोखरण में पाँच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट कर विश्व को भारत की शक्ति का एहसास कराया
– अटल बिहारी वाजपेयी ने दूसरी बार प्रधानमंत्री रहते हुए पाकिस्तान से संबंधों में सुधार की पहल की
– कारगिल युद्ध की विजयश्री का पूरा श्रेय तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को दिया गया
– 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा फिर वाजपेयी के नेतृत्व में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी
– इस बार वाजपेयी की सरकार ने अपना पांच साल का कार्यकाल पूर्ण किया
– इन पाँच वर्षों में राजग सरकार ने गरीबों, किसानों और युवाओं के लिए अनेक योजनाएं लागू कीं
– 2004 के लोकसभा चुनावों में राजग की हार के बाद खराब स्वास्थ्य के चलते अटलजी सक्रिय राजनीति से दूर हो गये
– 2015 में अटलजी को भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *