मरीजों को जानलेवा स्थिति से बचाने के लिए आधुनिक तकनीक ग्लू थेरेपी

सहारनपुर/देहरादून,। मैक्स अस्पताल देहरादून ने फेफड़ों से होने वाली रक्तस्राव (हीमोप्टाइसिस) को ठीक करने के लिए एक नई तकनीक ‘ग्लू थेरेपी’ का लॉन्च किया है। लोगों को इसके बारे में जागरूक करने के लिए एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। इस पद्धति के द्वारा मरीज के फेफडों से होने वाले रक्तस्राव को तुरंत रोका जा सकता है। इस आधुनिक तकनीक को पहली बार उत्तराखण्ड में इस्तेमाल किया गया है। फेफड़ां से खून का रिसाव होना आम बात नहीं है। लम्बे समय तक थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खून आना या छोटे समय के लिए ज्यादा मात्रा में खून आना ये दोनों ही कंडीशन जानलेवा साबित हो सकती है।खून की मात्रा कम हो या अधिक, दोनों ही स्थितियों में इसे एक मेडिकल एमरजेन्सी है। इलाज के लिए रक्तस्राव का कारण पता करना बहुत जरुरी है। कम से कम समय में कारण तक पहुंचना मरीज के लिए श्रेयस्कर होता है। ऐसे केसेस में छाती के एक्स रे जैसी मामूली जांच भी जीवनदायी हो सकती है। अगर रक्तस्राव बहुत ज्यादा मात्रा में हुआ हो तो जानलेवा हो सकता है और मरीज को खून चढ़ाने की जरूरत भी पड़ सकती है। फेफड़ो तक पहुंचना काफी मुश्किल होता है इसीलिए यहाँ से होने वाली रक्तस्राव की रोकथाम भी एक अनूठा चौलेंज रहता है। हाल ही में एक 52 वर्षीय पुरुष की जान ग्लू थेरेपी के इस्तेमाल से बचाई गई। 6 घंटे से लगातार हो रहे रक्तस्राव के उपरान्त इन्हे हॉस्पिटल लाया गया। मरीज का लगभग 6०० मि ली खून बह चुका था। जांच से पता चला के रक्तस्राव फेफड़ो के किस कोने में हो रहा है। तुरंत ब्रोंकोस्कोपी कर उन्हें ग्लू थेरेपी दी गई और खून को रोका गया। गौरतलब है के खून रिसने की सटीक जगह पहचान पाना इस मरीज मे मुश्किल था।डॉ वैभव चाचरा, कंसलटेंट एवं हैड, डिपार्टमेन्ट ऑफ पल्मोनोलोजी ने बताया, ‘‘फेफड़ों से होने वाली ब्लीडिंग को रोकने का एक और तरीका बीएई लेकिन ऐसा तभी किया जा सकता है जब ब्लीडिंग की जगह को पहचाना जा सके जिसमे काफी समय लगता है। ‘ग्लू थेरेपी’ सबसे कारगर तरीका है जो तुरंत ही मरीज की जान बचा सकता है, साथ ही मरीज को वेंटीलेटर पर डालने की आवश्यकता नहीं पड़ती और बीमारी की पहचान कर उसका इलाज करना भी संभव हो जाता है। हमने पहली बार उत्तराखंड में इस थेरेपी को सफलतापूर्वक कर दिया है। मरीज को होने वाले फायदे- समय का बचाव, इलाज के खर्चे में कटौती, तुरंत खून का रुकना।

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