उत्तराखंडः 26 सहकारी समितियों के सदस्यों की सदस्यता भंग

देहरादून : उत्तराखंड में राज्य सहकारी संघ के अधीन गठित जांच के दायरे में आई 97 समितियों में से 26 सहकारी समितियों के सदस्यों की सदस्यता भंग करने के आदेश जारी कर दिए गए। इससे पहले शुक्रवार को 70 समितियों की सदस्यता भंग की गई थी। अलबत्ता, श्रमिक सहकारी भेषज विकास एवं बहुद्देश्यीय क्रय-विक्रय संघ लि.देहरादून की सदस्यता जांच में सही पाई गई।

निबंधक सहकारी समितियां बीएम मिश्रा के अनुसार सभी 96 समितियों के आदेश अलग-अलग जारी किए गए हैं। इस बारे में राज्य सहकारी संघ के प्रबंध निदेशक को सूचना भेज दी गई है।

राज्य सहकारी संघ के अधीन गठित सहकारी समितियों में अनियमितता की बात सामने आने पर सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ.धन सिंह रावत ने राज्य गठन से लेकर अब तक गठित करीब डेढ़ सौ समितियों की जांच कराई।

जांच में बात सामने आई कि 97 सहकारी समितियां नियमानुसार संचालित नहीं हो पा रही हैं। इस पर निबंधक सहकारी समितियां की ओर से इन समितियों को नोटिस भेजकर अपना पक्ष रखने को कहा गया। इनमें से 70 समितियों के जवाब से संतुष्ट न होने के बाद शुक्रवार को इनके सदस्यों की सदस्यता खत्म करने के आदेश निर्गत कर दिए गए।

शेष 27 समितियों के संबंध में पड़ताल के बाद इनमें से 26 की सदस्यता भंग करने के आदेश सोमवार को जारी कर दिए गए। निबंधक सहकारी समितियां बीएम मिश्रा के अनुसार जांच में इस बात पर मुख्य फोकस किया गया था कि समितियों के सदस्यों की सदस्यता सही है अथवा नहीं।

जांच के बाद 96 समितियों के सदस्यों की सदस्यता नियमानुसार नहीं पाई गई, लिहाजा इन्हें भंग करने के अलग-अलग आदेश निर्गत किए गए हैं। वजह ये कि सभी समितियों के अलग-अलग कारण हैं। उन्होंने बताया कि देहरादून की एक सहकारी समिति नियमानुसार सही पाई गई।

निबंधक के मुताबिक जिन 96 समितियों के सदस्यों की सदस्यता भंग करने के आदेश दिए गए हैं, उसके बारे में राज्य सहकारी संघ के प्रबंध निदेशक को पत्र भेज दिया गया है। अब इनके शेयर वापसी आदि की कार्रवाई राज्य सहकारी संघ के स्तर से होनी है।

वहीं, कांग्रेस के वर्चस्व वाले राज्य सहकारी संघ के अधीन गठित सहकारी समितियों की सदस्यता भंग होने से सियासत भी तेज हो गई है। सदस्यता भंग होने का असर संघ के निदेशक मंडल पर भी पड़ेगा। वजह ये कि अब संघ के 14 सदस्यीय निदेशक मंडल के 10 निदेशकों की सदस्यता पर तलवार लटक गई है। ये निदेशक उन 96 सहकारी समितियों से चुने गए हैं, जिनके सदस्यों की सदस्यता भंग की गई है।

News Source: jagran.com

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