इसी साल से शुरू हो जाएगा गरीबों का मुफ्त इलाज

नई दिल्ली। देश की 40 फीसदी आबादी को कैशलेस इलाज सुनिश्चित कराने वाली दुनिया की सबसे बड़ी राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना इसी साल से शुरू हो जाएगी। योजना का लाभ सभी जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने के लिए इसे परिवार में सदस्यों की संख्या से मुक्त रखा गया है। अनुमान है कि 50 करोड़ लोगों को पांच लाख रूपये तक मुफ्त इलाज कराने में सालाना 10-12 हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी।

माना जा रहा है कि प्रति परिवार सालाना प्रीमियम हजार से 12 सौ के बीच होगा। राज्यों के सहयोग से चलने वाली राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना पर आने वाले खर्च का 60 फीसदी केंद्र सरकार वहन करेगी। शेष 40 फीसदी का अंशदान संबंधित राज्य सरकारें करेंगी। नीति आयोग राज्यों के साथ विमर्श कर इसकी रूप रेखा बनाएगा। जल्द ही राज्यों की एक बैठक बुलाई जाएगी। माना जा रहा है कि इसके अगले पांच-छह महीने में जमीन पर उतारा जा सकता है। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत के अनुसार इस योजना के तहत आने वाले लोगों को इलाज पूरी तरह कैशलेश होगा और पांच लाख रुपये तक खर्च पर अस्पताल मरीज से कोई पैसे नहीं मांगेगा। उनके अनुसार इस योजना को आम लोगों से जोड़ने के लिए इसे पेपरलेस रखा गया है। इसके लिए इसे आधार से जोड़ा जाएगा।

यानी एक बार इसके दायरे में आने वाले गरीब परिवार की पहचान होने के बाद उस परिवार के सदस्यों के आधार नंबर को इसके डाटाबेस से जोड़ दिया जाएगा। कोई भी गरीब आदमी जब किसी सरकारी या निजी अस्पताल में भर्ती होगा, तब सिर्फ आधार नंबर को देखकर ही उसका कैशलेस इलाज शुरू हो जाएगा। लेकिन एक भी गरीब इस योजना से वंचित न रह जाए, इसीलिए आधार को इसके लिए अनिवार्य नहीं बनाया गया है। जिसके पास आधार कार्ड नहीं है, उसे भी इस योजना का लाभ देने के तरीके पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। इस योजना के लिए बजट में भले ही महज 2000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ कर दिया है कि इसके लिए फंड की कमी नहीं होने दी जाएगी।

स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के अनुसार इस योजना के प्रारूप को अंतिम रूप देने के लिए विचार-विमर्श किया जा रहा है। इसे बीमा मॉडल या फिर ट्रस्ट मॉडल पर लागू किया जाएगा। राज्यों को मॉडल अपनाने की छूट होगी। 40 फीसदी आबादी को मुफ्त इलाज मुहैया कराने के साथ-साथ यह योजना देश में गरीबी उन्मूलन में भी अहम साबित हो सकती है। नीति आयोग के पास मौजूद आंकड़ों के अनुसार इलाज पर होने वाले भारीभरकम खर्च के चलते देश में हर साल छह से सात करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे चले जाते हैं। जाहिर है इलाज का बोझ नहीं आने के बाद ये परिवार गरीबी रेखा से ऊपर रहेंगे।

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