देवप्रयाग की तपोभूमि में मोरारीबापू द्वारा सीमित श्रोताओं के साथ 19 जून से रामकथा का मंगल गान

देवप्रयाग- भारत के उत्तराखण्ड में, अलकनंदा तथा भागीरथी नदियों के संगम पर स्थित प्रसिद्ध तीर्थस्थान है। यहीं से दोनों नदियों कीसम्मिलित धारा ‘गंगा’ कहलाती है। इसी कारण देवप्रयाग को पंच प्रयागों में सबसे ज्यादा महत्त्व दिया जाता है। देवप्रयाग अद्वितीयप्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण है। देवप्रयाग से भगवान विष्णु के पाँच अवतार – वराह, वामन, नरसिंह, परशुराम, राम – का संबंध मानाजाता है। और ब्रह्मा, परशुराम, दशरथ और जटायु की यह तपस्थली भी मानी जाती है। एक मान्यता के अनुसार, मुनि देव शर्मा ने ११हजार वर्ष तक तपस्या की थी और भगवान विष्णु यहीं प्रकट हुए थे। उन्होंने देव शर्मा को त्रेता युग में देवप्रयाग वापस आने का वचनदिया था और श्री रामावतार में अपना वचन पूरा भी किया। रामचन्द्र जी के देवप्रयाग आने और विश्वेश्वर लिंग की स्थापना करने काउल्लेख शास्त्र में मिलता है।

*राम भूत्वा महाभाग गतो देवप्रयागके।*

*विश्वेश्वरे शिवे स्थाप्य पूजियित्वा यथाविधि।।*

ऐसा कहा जाता है कि देव शर्मा के नाम पर ही देवप्रयाग का नाम पड़ा।

     ऐसी इस तप:पूत स्थली में, मोरारीबापू की 861वीं नौ दिवसीय रामकथा गान का आयोजन 19 जून से 27 जून तक होने जा रहा है।कोविड-19 की विकट परिस्थिति में, सरकार  द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पूर्णरूप से पालन किया जायेगा जिसके तहत सभी की सुरक्षाको ध्यान में रखते हुए श्रोताओं की पूर्व-निर्धारित सीमित संख्या ही शामिल की जाएगी। समाविष्ट होने वाले श्रोताओं को यजमान श्री कीओर से पूर्व सूचना दी जाएगी। रामकथा का सीधा प्रसारण 19 जून सायं 4:00 से 6:00 एवं 20 से 27 जून प्रातः 9:30 से 1:00 तकआस्था चैनल और चित्रकूटधाम यूट्यूब चैनल के माध्यम से किया जायेगा।

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