गणतंत्र दिवस पर अतिथि के रूप में भारत आने वाले मलेशियाई PM जामा मस्जिद जाने के इच्छुक
नई दिल्ली: वियतनाम के प्रधानमंत्री न्गुण्न शुआन फुक, म्यांमा की नेता आंग न सू ची और सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सिएन लूंग भारत आसियान शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए बुधवार यहां पहुंचे. ये नेता राजधानी में इस ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन के एक दिन पहले यहां पहुंचे हैं. यह एक अभूतपूर्व कार्यक्रम होगा. इसमें भाग लेने वाले 10 आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्ष/शासनाध्यक्ष गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि भी होंगे. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कई ट्वीट के जरिये आसियान नेताओं के पहुंचने की जानकारी दी.
वहीं, 10 देशों के प्रमुखों में से एक मलेशिया के पीएम ने 26 जनवरी को जामा मस्जिद जाने की पेशकश रखी है, जिसके लेकर ASL मीटिंग की गई है. यानी एडवांस सिक्योरिटी लाइजोन मीटिंग. इस मीटिंग में आईबी,दिल्ली पुलिस, दिल्ली पुलिस,सुरक्षा विभाग और 26 जनवरी कार्यक्रम में सुरक्षा एजेंसियां से जुड़े बड़े अफसर शामिल थे. वहीं, जामा मस्जिद कमेटी की भी एक हॉई लेवल मीटिंग की गई है. जिसमे मलेशिया के पीएम के स्वागत को लेकर जामा मस्जिद तैयार है.
सूत्रों के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने एएसएल मीटिंग में 26 जनवरी को जामा मस्जिद इलाके भी भारी भीड़ और उसके आसपास से परेड निकलने का हवाला दिया है. मलेशिया सरकार ने जामा मस्जिद प्रशासन से कहा था की उनके पीएम और बाकी डेलीगेशन 26 जनवरी को जामा मस्जिद में आकर जुमे की नमाज अदा करना चाहते है, जिसको लेकर जामा मस्जिद कमेटी राजी है. पुलिस सोर्स का कहना है कि पीएम जामा मस्जिद जाएंगे या नहीं ये अब MEA तय करेगा.
वहीं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्विटर पर लिखा, ‘आसियान- भारत स्मारक शिखर सम्मेलन में भारत वियतनाम के प्रधानमंत्री न्गुएन शुआन फुक और उनकी पत्नी सुश्री त्रान न्गुएन थू का स्वागत करता है. मानव संसाधन विकास राज्यमंत्र सत्यपाल सिंह ने उनकी आगवानी की.’ आंग सान सू ची का राजधानी पहुंचाने पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने स्वागत किया. थाईलैंड के प्रधानमंत्री जनरल प्रयुत चान- ओ- चा और उनकी पत्नी नारापोर्न चान-ओ-चा के स्वागत में विदेश राज्यमंत्री वी के सिंह ने स्वागत किया.
फिलीपीन के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुर्तेते की भी आगवानी सत्यपाल सिंह ने की. भारत-आसियान स्मारक शिखर सम्मेलन भारत-आसियान संबंधों के 25 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित किया गया है. यह सम्मेलन ऐसे समय हो रहा है जब क्षेत्र में चीन की आर्थिक और सैन्य दखल बढ़ रहा है.
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह सम्मेलन भारत के लिये व्यापार एवं संपर्क के रणनीतिक क्षेत्रों में एक शक्तिशाली सहयोगी के रूप में खुद को पेश करने का एक अवसर हो सकता है. कार्यक्रम के दौरान सैर-सपाटे के दौरान 25 जनवरी को नेताओं की खुले रूप से चर्चा होगी. इसका विषय समुद्री सहयोग और सुरक्षा है. इसके बाद उसी दिन पूर्ण सत्र का आयोजन होगा. आसियान देशों में थाईलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपीन, सिंगापुर, म्यांमा, कंबोडिया, लाओस तथा ब्रुनेई शामिल हैं.