लॉकडाउन : प्राइवेट स्कूलों की मजबूरी कहें या मनमानी

देहरादून/ हल्द्वानी। इसे प्राइवेट स्कूलों की मजबूरी कहें या मनमानी, किंतु हजारों छात्रों के अभिभावकों की लाचारी यह है कि उन्हें घर बैठे अपने बच्चों की स्कूल फीस के साथ ट्रांसपोर्टेशन फीस भी भरनी पड़ रही है। जिस कारण काफी अभिभावक परेशान हैं। प्राइवेट स्कूलों की ओर से मासिक फीस के साथ ही ट्रांसपोर्टेशन फीस का मैसेज अभिभावकों को पहुंचने से वह काफी परेशान हैं।हालांकि फिलहाल फीस जमा करने को लेकर कोई दबाव नहीं होने के कारण अभिभावक कुछ भी कहने से बच रहे हैं। किंतु आपस में एक दूसरे को मैसेज भेज कर खूब कानाफूसी कर रहे हैं। अकेले हल्द्वानी और आसपास क्षेत्रों में 250 से अधिक प्राइवेट स्कूल है। कमोबेश सभी स्कूलों के पास अपनी बस और वैन होने से वह बच्चों को ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा देते हैं।ट्रांसपोर्टेशन का प्रति बच्चा 600 से लेकर 3000 रुपये तक वसूले जाते हैं। हल्द्वानी में लगभग 25000 बच्चे स्कूल वैन से आते जाते हैं। नाम न छापने की शर्त पर अभिभावक कहते हैं कि लॉकडाउन  में ट्रांसपोर्टेशन फीस का कोई औचित्य नहीं होता। वही स्कूल वालों की दलील है कि वैन और बस चालक तथा अन्य स्टाफ का वेतन भी ट्रांसपोर्टेशन फीस से ही निकाला जाता है।

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