प्रभु की सबसे बड़ी संरचना है जीवनः बाबा रामदेव
हरिद्वार, । प्रभु की सबसे बड़ी संरचना जीवन है। जीवन पूर्ण होता है लेकिन मनुष्य अपने आप को अधूरा महसूस करता है। उक्त उद्गार विश्व विख्यात योगगुरू बाबा रामदेव ने हरिहर पुरूषोत्तम भागवत धाम में आयोजित श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के भव्य आयोजन में व्यक्त किये। बाबा रामदेव ने कहा कि भगवान ने जीवन में घास लेकर अणु-परमाणु, ज्ञान-विज्ञान सबकुछ जीवन में संजोया है लेकिन अज्ञानवश मनुष्य अपने आप को अधूरा समझकर किसी ओर कोई अन्य व्यक्ति को अपना अधूरापन समाप्त करने के लिए तलाशता रहता है जबकि जीवन भगवान की सबसे बड़ी संरचना है। कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को पूर्ण नहीं कर सकता जबकि हम अपने जीवन को स्वयं ही पूर्ण बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत को धर्म व संस्कृति में पिरोने का काम श्रीमद् भागवत कथा के माध्यम म.मं. स्वामी जगदीशदास जी महाराज अपनी कथा द्वारा कर रहे हैं जो कि प्रशंसनीय है।कथा व्यास म.मं. स्वामी जगदीशदास उदासीन जी महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा जीवन को जीने की कला सिखाती है। धर्म, संस्कृति व शास्त्र का मार्ग भी प्रशस्त करती है। श्रीमद् भागवत कथा भगवान की कथाओं में सबसे अद्भु त ग्रंथ है जिसमें सभी धर्म, शास्त्रों का सार समाहित है। मनुष्य को अपने जीवन में कभी छल, कपट का सहारा नहीं लेना चाहिए। सत्य के मार्ग पर चलने वाले मनुष्य को कष्ट तो जरूर होते हैं लेकिन जीवन आनंदमय हो जाता है। महंत कमलदास महाराज के सयोजन में आयोजित अष्टम वार्षिकोत्सव के पावन अवसर पर श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का संचालन करत हुए म.मं. स्वामी हरिचेतनान्द महाराज ने कहा कि मां गंगा के पावन तट पर श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से जीवन भवसागर से पार हो जाता है। इस अवसर पर पंचायती बड़ा अखाड़ा उदासीन के कोठारी महंत प्रेमदास, महाराज, सेवादास, महाराज, अमरदास जी महाराज, सवज्ञामुनि, कृपालदास जी महाराज, जयन्त मुनि, निर्मलराम मुनि, महंत केशवनन्द महाराज, अर्जुनदास जी महाराज, जमनादास, चौ. धर्मपाल नम्बरदार, कन्हैयालाल पंवार, चौ. विजेन्द्र सिंह डागर, चौ. महेन्द्र सिंह डागर, चौ. आजाद सिंह डागर, चौ. चतर सिंह ठेकेदार, पार्षद अनिल मिश्रा सहित श्रद्धालु भक्तगण उपस्थित रहे।