दिल्‍ली में सीलिंग: जन सुनवाई में खुली सियासत की पोल, नहीं पहुंचे कई माननीय

नई दिल्ली । सीलिंग पर हायतौबा मचाने वाले राजनीतिक दल और उनके नेताओं की पोल जन सुनवाई के दौरन खुल गई। सड़क पर आंदोलन करने वाले नेतागण मास्टर प्लान में संशोधन के प्रस्तावों पर नदारद रहे।

इससे कही न कही साफ हो जाती है कि सात लाख कारोबारियों को सीलिंग से राहत दिलाने की मंशा से मास्टर प्लान 2021 में संशोधन को लेकर राजनीतिक दल कतई गंभीर नहीं हैं। इतने महत्वपूर्ण मसले पर भी सभी के लिए राजनीतिक ज्यादा मायने रखती है न कि समस्या का समाधान। सोमवार को इन राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के लिए ही रखी गई जनसुनवाई में इसका साफ नजारा देखने को मिला।

मास्टर प्लान में संशोधन के प्रस्तावों पर आपत्तियां एवं सुझाव देने वाले सांसदों, विधायकों, पार्षदों, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के लिए सुनवाई के पहले ही दिन शुक्रवार को अलग सत्र रखा गया था। लेकिन इस सूची में शामिल 50 लोगों में से अधिकांश अनुपस्थित रहे। तर्क दिया गया कि उन्हें सूचना नहीं मिली। इसलिए दोबारा समय दिया जाए।

ऐसे में दो दिवसीय जन सुनवाई को एक दिन के लिए आगे बढ़ाते हुए सोमवार सुबह साढ़े 10 से दोपहर डेढ़ बजे तक माननीयों के लिए फिर से एक अलग सत्र रखा गया। आम आदमी पार्टी की ओर से उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, श्रम मंत्री गोपाल राय, पर्यावरण एवं खाद्य आपूर्ति मंत्री इमरान हुसैन, पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज सहित 27 विधायकों और 10 पूर्व विधायकों ने आपत्ति दर्ज कराई।

लेकिन सोमवार को भी दर्जन भर विधायक ही जन सुनवाई में पहुंचे। कांग्रेस की ओर से पत्रकार वार्ता में कई बार सीलिंग और मास्टर प्लान के संशोधन पर अंगुली उठाई गई लेकिन लिखित में किसी बड़े नेता ने आपत्ति दर्ज नहीं कराई। चर्चा होने पर न प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन सक्रिय नजर आए और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित। शीला दीक्षित तो टवीट करने के बावजूद नहीं पहुंची। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष एवं सांसद मनोज तिवारी भी जन सुनवाई खत्म होने के करीब पौने घंटे बाद पहुंचे।

पकौड़े भी रहे चर्चा का विषय 

जन सुनवाई का मुददा तो मास्टर प्लान में संशोधन था, लेकिन चर्चा यहां पकौड़ा पार्टी पर भी हुई। जन सुनवाई के अंतिम दिन बोर्ड ऑफ इंक्वायरी के सदस्य और आम आदमी पार्टी  विधायक बार बार एक दूसरे की खिंचाई करते नजर आए।

विधायकों को जब सुनवाई में पकौड़े और चाय दी गई तो उन्होंने खुलकर कहा कि आप बस पकौड़े और हलवाई का काम करो। आपके पकौड़े भी ठंड़े हो गए हैं। इसके बाद माहौल थोड़ा गर्म हो गया। नौबत यहां तक आई कि आप के कई विधायकों ने पकौड़े खाने से मना कर दिया।

नेताओं की शिक्षा पर भी हुई भिडंत

आम आदमी पार्टी के विधायक अजय दत्त और बोर्ड ऑफ इंक्वायरी के दो सदस्यों ओ पी शर्मा एवं विजेंद्र गुप्ता के बीच तीखी बहस हुई। अजय दत्त ने बोर्ड सदस्य ओ पी शर्मा की शैक्षिक योग्यता पर सवाल उठाते हुए कहा कि मैं आपसे अधिक पढ़ा लिखा हूं।

इसके पर विजेंद्र गुप्ता और ओपी शर्मा ने भी कहा कि आप सिर्फ वही बातें कहिए जो कहने आए हैं। शैक्षिक योग्यता पर बोलने का यह मंच नहीं है। इसके बाद अजय दत्त धमकी भरे लहजे में यह तक कहते आए कि अब मैं आपको विधानसभा में जवाब दूंगा। अब तक मैं वहां आपके लिए कुछ नहीं बोलता था, लेकिन अब जरूर बोलूंगा।

बोर्ड ऑफ इंक्वायरी के दोनों सदस्य भाजपा से क्यों ?

आम आदमी पार्टी कुछ विधायकों ने यहां सवाल खड़े किए कि बोर्ड ऑफ इंक्वायरी में दोनों राजनीतिक सदस्य बीजेपी हैं। ऐसे में इस पूरी प्रक्रिया पर संदेह है। दिल्ली में सबसे अधिक वोट, सीटें व समर्थन आम आदमी पार्टी के पास है, ऐसे में कम से कम बोर्ड में एक सदस्य आम आदमी पार्टी से भी होना चाहिए ताकि डीडीए की सभी प्रक्रिया निष्पक्ष हो सकें।

दो दो बार बोले विधायक, पीडि़तों को एक ही बार मिला समय

सीलिंग प्रभावित किसी दुकानदार ने यदि दोबारा कोई बात कहनी चाही तो बोर्ड सदस्यों ने इसकी इजाजत नहीं दी। जबकि विधायक सौरभ भारद्वाज और सोमनाथ भारती ने दो दो बार अपनी आपत्ति दर्ज कराई। इसी तरह आम लोगों को सूची में उनका नाम देखकर ही जन सुनवाई में आने दिया गया जबकि आम आदमी पार्टी के कई विधायक पूरे दल बल के साथ भी इस सुनवाई में पहुंचे।

शालीमार बाग से आप विधायक वंदना कुमारी ने लिखित में अपनी आपत्ति नहीं दी थी मगर फिर भी वे कई समर्थकों के साथ सुनवाई में पहुंची। आर के पुरम से आप विधायक प्रमिला टोकस ने अपना प्रतिनिधि भेज दिया।

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