बीजेपी के राज में शिक्षकों की कमी के कारण शिक्षा के स्तर में आयी गिरावट: हरीश रावत

देहरादून। उत्तराखंड में होने जा रहे विधानसभा चुनाव की तैयारियों के दौरान कांग्रेस के दिग्गज नेता एवँ उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मीडिया को जारी अपने एक बयान में कांग्रेस सरकार की उपलब्धियों को गिनवाया।

पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि हमारी सरकार ने उत्तराखण्ड के दूरदराज के हाईस्कूल और इंटर कॉलेजों में अध्यापकों की उपस्थित सुनिश्चित करने के लिए अतिथि शिक्षक नियुक्त करने का निर्णय लिया था। उन्होंने कहा कि हमने ब्लॉक कैडर के आधार पर ब्लॉक वाइज स्कूलों के रिक्त पदों को भरने के लिए विज्ञप्ति निकाली और योग्यता का क्रम निर्धारित कर नियुक्तियां की। इससे शिक्षकों की संख्या दूर-दराज के स्कूल और कॉलेजों में भी काफी बढ़ गयी, इसका तत्कालिक असर शिक्षा की गुणवक्ता पर पड़ा और स्कूलों के रिजल्ट्स अच्छे आए।

हरदा ने आगे कहा कि हमने इस प्रक्रिया को और आगे बढ़ाया, करीब 7 हजार ऐसे अध्यापक नियुक्त हुए। हमने 2016 में इस बात का प्रयास किया कि ब्लॉक कैडर की अवधारणा को कानूनी मान्यता मिल जाए। इस संदर्भ में उठे एक न्यायिक विवाद में हमने कोर्ट में स्थिति स्पष्ट कर राज्य सरकार पक्ष को रखा और राज्य सरकार के निर्णय को न्यायालय के सम्मुख रखा। उन्होंने कहा कि सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा की सरकार ने इस प्रकरण को बहुत हलके से लिया और न्यायालय के सम्मुख समुचित तर्क रखने में राज्य सरकार विफल रही।

हरीश रावत ने कहा कि आज सरकार की इस विफलता के परिणाम स्वरुप अतिथि शिक्षकों के काफी पद समाप्त हो गए जो ब्लॉक आधारित कैडर की अवधारणा थी उसको धक्का लगा। शिक्षा व्यवस्था में आया सुधार रुक गया और कुछ संस्थाओं ने शिक्षा स्तर में शिक्षकों की कमी के कारण गिरावट आने लग गई। इसलिये मैं कहता हूँ कि “तीन तिगाड़ा-काम बिगाड़ा, अब उत्तराखंड नहीं आएगी, भाजपा दोबारा।”

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