को बणौल पधान (कुमांउनी रचना चुनावी हलचल)
हलचल हैरै आब ऐगी चुनाव,
फेसबुक मुबाईल में मारण रयी उच्छयाव।।
क्वें जोड़न लागि रयीं आब हाथ,
क्वें चाण फैगी आब दयाप्तों थान।
गौनूँक बाखई में या माल धारकिं दुकान,
गौ गौनूंमें सब जाग एकै चर्चा हैरै।
को बणौल पधान….को बणौल पधान।।
आब द्वी नानतिन आठ दस पास,
दाज्यूल लगै रछी बरसों बै आश।
आब कभै इथां कभै उथां चाईयै रैगयीं,
है गयीं आब नेताज्यू निराश।
जुटी रछीं लगै बे उं जी जान,
बंद हैगे दाज्यू आब दुकान।
गौ गौनूंमें सब जाग एकै चर्चा हैरै।
को बणौल पधान….को बणौल पधान।।
राती ब्याव दिन दुपहरी,
सब लगाण रयीं आपण आपण कैमस्ट्री।
नयी नियम के आई भागी यास,
ठुल मुनईक नेताज्यूक बिगड़ी गे हिस्ट्री।।
क्वें लगाण रौ वोटों अंकगणित,
कैंक बिगड़ गो आब भूगोल।
क्वें जीतणौक स्वैणा देखण लागि रौ,
क्वें है गयीं आब गोल।
वाल गौं पाल गौं वाल धार पाल धार,
सब बाटण लागि रयीं आपण आपण ज्ञान।
गौ गौनूंमें सब जाग एकै चर्चा हैरै।
को बणौल पधान….को बणौल पधान।।
गिच गिचैं पड़ी रौ सबूँक मसमसाट,
वोटोक नोटोंक खाण पिणौक ठाट।
गौं गौनूँक दुकानों में गफूक बहार,
अर्थशास्त्री कूंण रयीं कौ जीतौल को हार।
दाज्यू कैंकी निं बची तलवार निं बची म्यान,
आपण रवाट सेकणीयौंक बेची गयीं भान।
गौ गौनूंमें सब जाग एकै चर्चा हैरै।
को बणौल पधान….को बणौल पधान।।
…. ….भुवन बिष्ट
रानीखेत (उत्तराखंड)