नेता और नौकरशाही के विवाद में मंत्रियों के अलग-अलग सुर, जानिए

देहरादून। राज्यमंत्री रेखा आर्य द्वारा नौकरशाही के खिलाफ खोले गए मोर्चा में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी शामिल हो गए हैं। महाराज ने रेखा का समर्थन करते हुए, उनकी बात सुनने पर जोर दिया। साथ ही विभागीय सचिवों की सीआर लिखने का अधिकार मंत्रियों को सौंपने की पैरवी की। इससे इतर शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने कहा कि सचिवों की सीआर लिखने का अधिकार पहले ही मंत्रियों के पास है।

महिला कल्याण बाल विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर, विभाग में चल रहे गतिरोध की जानकारी दी है। रेखा ने लिखा है कि टेंडर प्रक्रिया से जुड़ी फाइल तलब करने के बावजूद,सचिव कार्यालय से उनसे लिखित आदेश की मांग की गई। उन्होंने विभागीय सचिव व निदेशक पर आदेश न मानने का आरोप लगाते हुए, दोनों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

मुख्य सचिव को भेजे पत्र में रेखा ने कहा है कि उन्होंने सीएम से वार्ता को 24 सितंबर को निदेशालय से टेंडर प्रक्रिया की फाइल तलब की थी। जब उनके स्टाफ ने उपनिदेशक से फाइल मांगी तो उन्होंने सचिव के आदेश के बिना ऐसा करने में असमर्थता जता दी। उनके स्टाफ ने सचिव सौजन्या के निजी स्टाफ से लिखित आदेश की मांग की। इसके बाद निदेशालय में तैनात मुख्य प्रशासनिक अधिकारी को उपनिदेशक को पत्र लिखकर फाइल देने की गुजारिश करनी पड़ी। रेखा ने विभाग में जारी टेंडर प्रक्रिया भी स्थगित करने का आग्रह किया। साथ ही सचिव और निदेशक से आदेशों का पालन नहीं करने को लेकर स्पष्टीकरण मांगते हुए कार्रवाई की मांग की।

वी.षणमुगम ने की विभाग बदले जाने की मांग!
इधर, चर्चा है कि निदेशक वी.षणमुगम ने भी मुख्य सचिव को पत्र भेज उनसे महिला बाल कल्याण विभाग हटाने की मांग की है। सूत्रों के मुताबिक, षणमुगम ने पूरा घटनाक्रम बयां करते हुए, विभाग में काम करने में असमर्थता जताई है। षणमुगम दो माह पूर्व ही टिहरी के डीएम पद से हटने के बाद विभाग में निदेशक बने थे। हालांकि पत्र की आधिकारिक पुष्टि किसी ने नहीं की। षणमुगम भी प्रतिक्रिया देने सामने नहीं आए हैं।

मनीषा पंवार ने शुरू की विवाद की जांच
मंत्री-अफसर तनातनी विवाद में जांच अधिकारी नियुक्त अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार ने पड़ताल शुरू कर दी है। पंवार ने बताया कि उन्हें मुख्य सचिव के आदेश मिल गए हैं, इसी क्रम में वो जांच शुरू कर चुकी हैं। इधर, विभागीय निदेशक वी.षणमुगम शुक्रवार को भी अपना पक्ष देने के लिए उपलब्ध नहीं हुए।

कर्मचारियों ने दिया ज्ञापन: महिला कल्याण बाल विकास में पोषण अभियान के तहत आउटसोर्स से तैनात कर्मियों ने शुक्रवार को विभागीय मंत्री रेखा आर्य से मुलाकात की। इस दौरान कर्मचारियों ने नियुक्ति बरकरार रखने की मांग को लेकर उन्हें ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कहा कि 380 कर्मचारियों को बीते पांच माह से मानदेय नहीं मिला है। 14 सितंबर से एजेंसी से करार भी खत्म हो गया, जिस कारण उनकी सेवाएं भी खत्म हो गई हैं।

मंत्रियों को मिले सीआर लिखने का हक :पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज
इस मामले में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी रेखा आर्य के पक्ष में उतर आए हैं। उन्होंने मांग की कि विभागीय सचिवों की सीआर लिखने का अधिकार मंत्रियों को मिलना चाहिए। महाराज ने शुक्रवार को सुभाष रोड स्थित अपने कैंप कार्यालय में कहा कि ये बहुत जरूरी हो गया है कि सचिव की सीआर मंत्री ही लिखें। इसके बाद ही अफसर मंत्रियों की बात सुनेंगे। उन्होंने कहा कि देश के बाकि राज्यों में यही परंपरा है केवल उत्तराखंड में ही ऐसी परिपाटी है, जिसमें मंत्री अपने विभागीय सचिवों की सीआर नहीं लिखते। महाराज ने कहा कि कार्मिक विभाग ने उन्हें सचिवों की सीआर को लेकर आज तक जानकारी नहीं दी। ऐसे में जब जानकारी ही नहीं दी जाती, तो मंत्री अपनी राय मुख्य सचिव के पास कैसे भेजेंगे।

सीआर लिखने का नियम पहले से लागू : कौशिक
पर्यटन मंत्री की टिप्पणी को लेकर सवाल पर शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि अफसरों की सीआर मंत्रियों से लिखवाने का नियम राज्य में पहले से लागू है। अलबत्ता कई बार किसी अफसर के पास एक से अधिक विभाग होते हैं तो उस मामले में दूसरे मंत्री की रिपोर्ट से भी काम चल जाता है। इसकी जानकारी संबंधित मंत्री को नहीं हो पाती है जिससे असमंजस पैदा हो जाता है।

सीएम का होता है सीआर को लेकर अंतिम फैसला 
सचिवस्तरीय अधिकारियों की सीआर लिखने की एक निर्धारित प्रक्रिया है। कार्मिक विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, सचिव अपनी सीआर मुख्य सचिव को भेजते हैं। कार्मिक विभाग इस पर संबंधित मंत्रियों से टिप्पणियां मांगते हैं। मंत्री और मुख्य सचिव की टिप्पणी के साथ यह फाइल सीएम को भेज दी जाती है। सीआर पर अंतिम राय सीएम की होती है। वह टिप्पणी हटा भी सकते हैं और जोड़े भी रख सकते हैं।

अफसरों की हठधर्मिता से कर्मियों के सामने संकट
अफसरों की हठधर्मिता से 380 लोगों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है। मोटा वेतन लेकर भी काम न करना, भ्रष्टाचार की ही श्रेणी में आता है। हमें इस पहलू पर भी विचार करना चाहिए।
रेखा आर्य, राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार

अधिकारी दोषी होंगे तो की जाएगी कार्रवाई : कौशिक
विभाग के मामलों की जांच या फाइल तलब करना, मंत्री का अधिकार है। यदि टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई है तो अफसरों पर कार्रवाई होगी। मंत्री तकनीकी मामलों के जानकार नहीं होते, उन्हें अफसरों से जानकारी लेने का पूरा हक है।

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