बसने योग्य शहरों की सूची में दून को 80वां स्थान

देहरादून ।बसने योग्य शहरों की सूची में दून को 80वां स्थान हासिल होना यूं तो अपने आप में चिंता की बात है, मगर नागरिक सुविधाओं से जुड़े सात मोर्चे ऐसे हैं, जिन पर खासा ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही उन शहरों से सीख लेने की भी जरूरत है, जिन्होंने इन मोर्चों पर खुद को बेहतर साबित किया है। ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स-2018 में दून जिन मोर्चों पर खासा पिछड़ा साबित हुआ, उनमें बिजली, पानी, स्वास्थ्य, प्रदूशण मुक्त वातावरण, कूड़ा प्रबंधन, जल निकासी के इंतजाम व पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसी आधारभूत जन सुविधाएं शामिल हैं। यह इंडेक्स जनगणना-2011 के आंकड़ों पर आधारित है। हालांकि, जनगणना से पहले से लेकर अब तक कई मोर्चों पर दून ने काफी काम भी किया। फिर भी बढ़ती आबादी और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के अभाव में स्थिति उतनी संतोशजनक नहीं मानी जा सकती। मसलन, पेयजल, ऊर्जा, कूड़ा प्रबंधन की दिषा में काफी काम किए गए हैं। यह बात जरूर है कि योजनाओं में समग्रता के अभाव में शहर को अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाया। जबकि जल निकासी, पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य व पब्लिक ट्रांसपोर्ट की दिशा में कोई भी संतोषजनक काम नहीं किया जा सका। इंडेक्स में भले ही भूपयोग के मामले में दून को देषभर में तीसरा स्थान मिला हो, मगर आज की तस्वीर देखें तो धरातलीय स्थिति बेहद विकट हो गई है। महज 64 वर्ग किलोमीटर के शहर में सीमित दायरे में काफी अधिक सुविधाएं हैं।

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