उपराज्यपाल पर भारी पड़े केजरीवाल

नई दिल्ली। दिल्ली में उप राज्यपाल और मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के अधिकारों के मामले में केजरीवाल को कोर्ट ने राहत दी है। उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी कि दिल्ली के उपराज्यपाल दिल्ली मंत्रिपरिषद की सलाह मानने के लिए बाध्य हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार और केन्द्र के बीच सत्ता टकराव पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है और इसे शहर के लोगों और लोकतंत्र के लिए एक ‘बड़ा फैसला’ करार दिया। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अलग-अलग, परंतु सहमति वाले फैसले में कहा कि उपराज्यपाल संविधान के अनुच्छेद 219 के प्रावधानों को छोडकर अन्य मुद्दों पर निर्वाचित सरकार की सलाह मानने के लिए बाध्य हैं। न्यायमूर्ति मिश्रा ने साथी न्यायाधीश- न्यायमूर्ति ए के सिकरी और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की ओर से फैसला पढ़ा। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने अपना-अपना फैसला अलग से सुनाया।न्यायालय ने कहा कि दिल्ली की स्थिति पूर्ण राज्य से अलग है और उपराज्यपाल कानून व्यवस्था, पुलिस और भूमि सम्बंधी मामलों के लिए विशेष रूप से जिम्मेदार हैं लेकिन अन्य मामलों में उन्हें मंत्रिपरिषद की सलाह माननी होगी।संविधान पीठ ने कहा कि उपराज्यपाल मंत्रिपरिषद के प्रत्येक निर्णय को राष्ट्रपति के पास नहीं भेज सकते। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि उपराज्यपाल को निर्वाचित सरकार के कामकाज को बाधित नहीं किया जाना चाहिए।न्यायालय ने कहा कि उप राज्यपाल को मंत्रिपरिषद के साथ सामंजस्यपूर्ण तरीके से काम करना चाहिए और मतभेदों को विचार-विमर्श के साथ सुलझाने के लिए प्रयास करने चाहिए। उच्चतम न्यायालय के फैसले पर मुख्यमंत्री अरविंद ने फैसले के कुछ मिनटों के बाद ट्वीट किया है कि दिल्ली के लोगों की एक बड़ी जीत, लोकतंत्र के लिए एक बड़ी जीत है। उल्लेखनीय है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार के लिए यह एक बड़ी जीत है। इनका उपराज्यपाल अनिल बैजल के साथ सत्ता पर अधिकार को लेकर लगातार टकराव रहा है। इससे पूर्व उपराज्यपाल नजीव जंग से भी लगातार जंग होती रही।

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