बुद्ध की निर्वाण स्थली में बुद्ध पुरुष द्वारा कथागान
देहरादून। उत्तर प्रदेश प्रशासन की पूर्व मंजूरी से, सरकार की कोरोना संबंधित मार्गदर्शिका के पूर्ण परिपालन के साथ कुशीनगर में पूज्य मोरारी बापू के श्री मुख से कथाक्रम की ८५४वीं मानस कथा का गान का होगा।कुशीनगर को हिंदुस्तान की धर्म परंपरा का त्रिवेणी-तीर्थ कहा जा सकता है। क्योंकि यह स्थान तीन धर्मों से जुड़ा है! हिंदू धर्म के भगवान श्री राम, बौद्ध धर्म के भगवान गौतम बुद्ध और जैन धर्म के तीर्थंकर महावीर स्वामी की स्मृति इस भूमि से जुडी है। त्रेता युग में यह स्थान भगवान रामजी के पुत्र कुश की राजधानी ‘कुशावती’ थी।कुशीनगर जनपद के जिला मथक का नाम ‘पडरौना’ है। कहा जाता है कि जनकपुरी में सीताजी से ब्याह कर भगवान राम इसी मार्ग से अयोध्या वापस लौटे थे।भगवान की पदरज से पवित्र हुई इस धरती ‘पदराम’ – ‘पदरामा’ – नाम से ख्यात हुई। बाद में उच्चार भेद से पडरेना- पडरौना नाम से जानी गई। पडरौना से दस किलोमीटर दूर बहती बांसी नदी पार करके भगवान राम अयोध्या की ओर रवाना हुए थे। बांसी नदी के इस घाट को आज भी ‘रामघाट’ से जाना जाता है। बांसी नदी का यह स्थान इतना इतना महत्व का हो गया कि “सो काशी और एक बांसी” कहावत हो गई।कुशीनगर से १६ किलोमीटर दूर पावानगरी है, जिसे जैन धर्मी “पावापुरी तीर्थ” के नाम से जानते है। पावापुरी भगवान महावीर की निर्वाण भूमि है। मल्ल शासन के दौरान भगवान बुद्ध को पावा जनपद के छठिया गांव – ‘श्रेष्ठी ग्राम’ से, भिक्षापात्र में किसीने सुव्वर का कच्चा मांस दिया। जिसे ग्रहण करने के बाद भगवान बुद्ध को अतिसार की बीमारी हो गई।रुग्ण देहावस्था के साथ बुद्ध को कुशीनगर के शालवन नामक स्थान में महापरिनिर्वाण प्राप्त हुआ। गुप्त साम्राज्य में सम्राट कुमारगुप्त (प्रथम) के समय में यहां बुद्ध की महापरिनिर्वाण की विशाल मूर्ति एवं महानिर्वाण स्तुप का जीर्णोद्धार किया गया। बाद में मौर्य युग में सम्राट अशोक ने इस भूमि को प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थ के रूप में परिवर्तित किया। १२ वीं शताब्दी के मुस्लिम शासकोने इस पावन धर्म स्थान को खंडहर में बदल दिया।और फिर सालों तक यह भूमि अंधकार में खो गई।अंग्रेजों के शासन काल में गवर्नर जनरल अलेक्जेंडर कनिंघम और उसके साथी कार्लाइन ने १८६१ में यहां के पुरातत्व अवशेषों को खुदाई करके बाहर निकाला।बाद में १९०४ से १९१२ तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा तीनों धर्म संस्कृति के अवशेष खोजे गए।- ऐसे पावन स्थान भगवान बुद्ध की निर्वाण-भूमि कुशीनगर पर हमारे बुद्ध पुरुष मोरारी बापू द्वारा२३ से ३१ जनवरी तक राम कथा का गान होगा। बापू की व्यास वाटिका के वैश्विक श्रोतागण , इस तारीखों के दौरान प्रतिदिन सुबह दस से दो बजे तक आस्था टीवी और यूट्यूब पर से लाइव कथा सुन पाएंगे।