कन्या पूजन देती हैं बेटी बचाओ का संदेश: किरन सोनी

देहरादून: नवरात्रों में जहां मातारानी की पूजा की जाती हैं वही हरियाली डालकर आठवे दिन जिसे अष्टमी तिथि मानकर पाठ पूजा कर मंदिरों में उदिय्यापन किया जाता हैं और नवमी पर दुर्गा के नौ रूपों की कन्या जमवाकर पूजा की जाती हैं। किरन सोनी ने मरोड़ा सकलाना में कन्याओं की पूजा, अर्चना कर विदाई दी। प्रसिद्ध पर्यावरणविद् वृक्षमित्र डॉ त्रिलोक चंद्र सोनी कहते हैं माता के नौ रूपों को नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है। नवरात्र में माता शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा नौ कन्या रूपों में की जाती हैं कही न कही ये बार त्योहार हमें महिला शक्ति व बेटियों को बचाने की सीख देते हैं जिस तरह पृथ्वी में प्रकृति विभिन्न पेड़ पौधों व वन्यजीवो का संरक्षण करती है उसी प्रकार महिलाएं इस धरती में मानव जीवन के हिफाजत करते हैं। वही किरन सोनी कहती हैं माता (महिलाओं) को जगत जननी कहा जाता है जिस प्रकार धरती हमारी भरण पोषण करती हैं उसी प्रकार महिलाएं जन जन की हिफाजत करते हैं इसीलिए महिलाओं को जगत जननी कहा जाता हैं। कहा पूजा उसकी की जाती हैं जो समाज में अनुकरणीय कार्य करते हैं। नवरात्राएं महिला शक्ति के साथ बेटी बचाओ की प्रेरणा देती हैं इसलिए हम कन्याओं की माता रूपो में पूजते हैं ताकि बेटियों की सुरक्षा हो सके। कन्या पूजन में आशा, समीक्षा, श्रुति, अंजली, हिमानी, मानसी, अनिका, मीनाक्षी, काजल, आव्या, आरुषी, कृष्णा आदि थे।

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