कैलाश अस्पताल के चिकित्सकों ने सात घण्टे में जोड़ी शौर्य की कटी उंगली

मात्र आठ वर्ष का है शौर्य, खेलते समय अचानक चारा काटने की मशीन में आ गई थी तर्जनी उंगली

देहरादून। उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून में हरिद्वार रोड़ पर स्थित कैलाशअस्पताल

द्वारा अब तक जहां कई गम्भीर   मामलों के आपरेशन करके उनमें  शीघ्र ही सफलता पा ली गई वही इसी अस्पताल ने हांल ही में एक आठ वर्षीय मासूम  बच्चे शौर्य की कट चुकी हाथ की तर्जनी उंगली का चन्द घन्टों में सफल आपरेशन करके यह एक बार फिर साबित कर दिया है कि कैलाश अस्पताल सभी तरह के मरीजों के सफल इलाज में अव्वल दर्जे का स्थान  यकीनन बनाये हुए हैं।अस्पताल में  आठ वर्षीय मासूम  बच्चे शौर्य के दाये हाथ की तर्जनी उंगली के सफल इलाज के सम्बन्ध में पत्रकारों को जानकारी देते हुए वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन डा. हरीश घिल्डियाल ने बताया कि शौर्य के हाथ की उंगली अचानक चारा काटने वाली मशीन में आ गई थी जो कि कट कर नीचे जा गिरी थी। उन्होने बताया कि घायल इस बच्चें को पहले ऋषिकेश के निर्मल आश्रम में तथा उसके बाद जौलीग्रांट अस्पताल ले जाया गया था लेकिन बाद में उसे कैलाश अस्पताल लाया गया ।  देहरादून। उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून में हरिद्वार रोड़ पर स्थित  कैलाश अस्पताल  द्वारा अब तक जहां कई गम्भीर   मामलों के आपरेशन करके उनमें  शीघ्र ही सफलता पा ली गई वही इसी अस्पताल ने हांल ही में एक आठ वर्षीय मासूम  बच्चे शौर्य की कट चुकी हाथ की तर्जनी उंगली का चन्द घन्टों में सफल आपरेशन करके यह एक बार फिर साबित कर दिया है कि कैलाश अस्पताल सभी तरह के मरीजों के सफल इलाज में अव्वल दर्जे का स्थान  यकीनन बनाये हुए हैं।अस्पताल में  आठ वर्षीय मासूम  बच्चे शौर्य के दाये हाथ की तर्जनी उंगली के सफल इलाज के सम्बन्ध में पत्रकारों को जानकारी देते हुए वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन डा. हरीश घिल्डियाल ने बताया कि शौर्य के हाथ की उंगली अचानक चारा काटने वाली मशीन में आ गई थी जो कि कट कर नीचे जा गिरी थी। उन्होने बताया कि घायल इस बच्चें को पहले ऋषिकेश के निर्मल आश्रम में तथा उसके बाद जौलीग्रांट अस्पताल ले जाया गया था लेकिन बाद में उसे कैलाश अस्पताल लाया गया ।  वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन डा. हरीश घिल्डियाल ने बताया कि उन्होने अपने सहयोगी डा. कनिका अरोड़ा के साथ बच्चे की कटी हुई उंगली का  बारीकी से निरीक्षण किया और तत्काल ही मामले की नाजुकता को देखते हुए उंगली जोडनें की सर्जिकल प्रक्रिया रात्रि साढें दस बजे शुरू कर दी थी जो कि सवेरे साढे पांच बजे तक और आपरेशन सफल  रहा वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन डा. हरीश घिल्डियाल ने बताया कि यह केस एक बहुत ही चुनौती पूर्ण था क्योकि  एक तो बच्चे की उंगली का आकार कम उम्र के कारण छोटा था दूसरे उसकी उंगली काफी आगे से कटने की वजह से जोड़ी जाने वाली खून की नाड़ियों का  व्यास काफी हो जाता है जिसे सफलता पूर्वक जोड़ना बहुत ही मुश्किल होता है  वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन डा. हरीश घिल्डियाल के मुताबिक, एक अनुभवी माईक्रोसर्जन कई घण्टे आपरेटिव माईक्रो स्कोप के नीचे विशेष प्रकार के माइक्रो उपकरणों की सहायता से इन कटे अंगों को जोडने का कार्य समपन्न करता है लेकिन अन्तिम परिणाम माइक्रो सर्जन की सारी थकान को खत्म कर देते है।उन्होने पत्रकारों से बातचीत करते हुए यह भी कहा कि अभिभावको को अपने बच्चों के साथ हर समय सर्तकता व जागरूकता बरतनी चाहिए। हालांकि उन्होने यह भी कहा कि खेतों में चारा काटने की मशीन से हुए अंग विच्छेद आम है लेकिन माइक्रों सर्जरी के बारे में जागरूकता व नवीनतम तकनीक से ऐसे मरीजों को नई जिन्दगी मिल रही है। पत्रकार वार्ता में डा. हरीश घिल्डियाल के साथ ही कैलाश अस्पताल के निदेशक पवन शर्मा, ग्रुप निदेशक डा. रीतु बोहरा व चिकित्सा अधीक्षक डा. एस के मिश्रा भी मौजूद रहे। इस दौरान  बच्चे के साथ उसके माता पिता भी उपस्थित थे।

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