बुराड़ी कांड के ठीक एक साल बाद, गुरूग्राम में 4 रहस्यमयी मौतें

नई दिल्ली। गुरूग्राम के एक फार्मा कंपनी में काम करने वाले व्यक्ति जिस पर अपने परिवार के हिफाजत की जिम्मेदारी थी। उसने पहले तो अपने हाथों से अपना परिवार खत्म किया फिर मौत को खुद गले लगा लिया। गुरूग्राम के सेक्टर 49 में उप्पल साउथ ऐंड सोसायटी के एक फ्लैट से एक साथ चार लाशें निकली तो पूरा इलाका सन्न रह गया। पुलिस को 50 वर्षीय डॉ. प्रकाश सिंह की शर्ट से एक सुसाइड नोट मिला है। इसमें उन्होंने लिखा कि मैं अपने परिवार को संभाल नहीं पाया। इसके लिए मैं ही जिम्मेदार हूं। इसीलिए मैं सब खत्म कर रहा हूं। डॉ. प्रकाश सिंह के अलावा उनके साथ पत्नी और एक बेटा व बेटी रहते थे। लेकिन सुबह जब काम करने वाली नौकरानी काम करने आई तो घर का दरवाजा नहीं खुला। उसने पड़ोसियों को बताया और पड़ोसियों ने आरडब्ल्यूए को सूचित किया। सभी ने अनहोनी की आशंका से पुलिस को इसकी जानकारी दी। जिसके बाद मौके पर पुलिस जब मौके पर पहुंची। खिड़की से अंदर दाखिल हुए पुलिसवाले भी अंदर का मंजर देख कर सहम गए। वहां पुलिस को चार लाशें मिली।प्रकाश सिंह का पूरा परिवार खत्म हो गया था। प्रकाश के अलावा तीनों की हत्या बड़ी बेरहमी से की गई थी। सोनू और उसके दोनों बच्चों पर हथौड़ों से वार किए गए थे जिसके बाद धारदार हथियार से वार किए गए थे। शुरूआती जांच में पुलिस का मानना है कि डॉ. प्रकाश ने अपने परिवार के लोगों पर पहले हथौड़े से वार किया फिर चाकू से गोदा और फिर खुद को फांसी लगा ली। डॉ. प्रकाश सिंह कुछ समय पहले तक सन फार्मा कंपनी में नौकरी करते थे। कुछ टाईम से वो नौकरी पर नहीं जा रहे थे। मानसिक तनाव की वजह से इतना बड़ा कदम उठाया और अपने परिवार को खत्म कर डाला। आखिर एक पढ़े-लिखे व्यक्ति ने क्यों इतनी बड़ी घटना को अंजाम दिया? यूं तो इस सवाल का जवाब देने वाला कोई शख्स जिंदा नहीं है। लेकिन पुलिस को मिले खत ने चार मौतों की मौत की कहानी बयां की। कैसे एक सोची समझी साजिश को अंजाम दिया। सुसाइड नोट में प्रकाश सिंह ने जिक्र किया कि वो परिवार को संभाल नहीं पा रहे हैं। इसके लिए मैं ही जिम्मेदार हूं। इसीलिए अब मैं सब खत्म कर रहा हूं।लेकिन एक बात जो गौर करने की है कि प्रकाश सिंह ने आर्थिक तंगी की वजह से इतना खौफनाक कदम उठाया। वो खुद नामी फार्मा कंपनी में काम करते थे। उसकी पत्नी तीन स्कूल और एनजीओ भी चलाती थी। बेटी अदिति (21) जामिया यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन कर रही थी। बेटा आदित्य (14) डीएवी स्कूल में 7वीं में पढ़ता था। ऐसे में आर्थिक तंगी मौत का कारण हो सकती है ऐसे आसार फिट नहीं बैठते हैं। ठीक एक साल पहले 1 जुलाई 2018 को बुराड़ी कांड ने एक ही घर के 11 लोगों को मौत की नींद सोने पर मजबूर कर दिया था। ऐसे में फिर से ठीक 1 साल बाद 4 मौतों ने एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है कि इन मौतों का रहस्य आखिर है क्या?

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