1% अमीर लोगों के पास बाकी 99% आबादी से ज़्यादा दौलत, Oxfam की रिपोर्ट में दावा

दावोस: देश में अमीर और गरीब के बीच की खाई लगातार बढ़ती जा रही है. एक सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है. सर्वे के अनुसार भारत में साल 2017 में कुल संपत्ति के सृजन का 73 प्रतिशत हिस्सा केवल एक प्रतिशत अमीर लोगों के हाथों में है. साथ ही सर्वेक्षण ने देश की आय में असामनता की चिंताजनक तस्वीर भी पेश की है.

अंतर्राष्ट्रीय राइट्स समूह ‘ऑक्सफेम’ की ओर से यह सर्वेक्षण दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की शिखर बैठक शुरू होने से कुछ घंटे पहले जारी किया गया. इसमें कहा गया है कि 67 करोड़ भारतीयों की संपत्ति में सिर्फ एक प्रतिशत की वृद्धि हुई है. वैश्विक स्तर पर यह तस्वीर और भी चिंताजनक है. पिछले साल दुनिया भर में अर्जित की गई संपत्ति का 82 प्रतिशत केवल एक प्रतिशत लोगों के पास है. वहीं, 3.7 अरब लोगों की संपत्ति में कोई इजाफा नहीं हुआ. जिसमें गरीब आबादी का आधा हिस्सा आता है.

‘ऑक्सफेम’ के वार्षिक सर्वेक्षण को महत्वपूर्ण माना जाता है और विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक में इस पर विस्तार से चर्चा होती है, जहां बढ़ती आय और लिंग के आधार पर असमानता दुनिया भर के शीर्ष नेताओं के बीच प्रमुख बिंदु है. सर्वेक्षण में बताया गया है कि देश की कुल संपत्ति का 58 प्रतिशत हिस्सा देश के एक प्रतिशत अमीर लोगों के पास है. जो कि वैश्विक आंकड़े से भी अधिक है. वैश्विक स्तर पर एक प्रतिशत अमीरों के पास कुल संपत्ति का 50 प्रतिशत हिस्सा है. ऑक्सफेम इंडिया ने कहा कि 2017 के दौरान देश के एक प्रतिशत अमीरों की संपत्ति बढ़कर 20.9 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई है.

‘रिवॉर्ड वर्क, नॉट वेल्थ’ शीर्षक से जारी सर्वेक्षण पर ऑक्सफेम ने कहा कि कैसे वैश्विक अर्थव्यवस्था अमीरों को और अधिक धन एकत्र करने में सक्षम बनाती है और वहीं लाखों करोड़ों लोग जिंदगी जीने के लिए मशक्कत कर रहे हैं. इस सर्वेक्षण में 10 देशों के 70,000 लोगों को शामिल किया गया है. डब्ल्यूईएफ की बैठक में शामिल होने जा रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ऑक्सफेम इंडिया ने आग्रह किया है कि भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि देश की अर्थव्यवस्था सभी के लिए काम करती है न कि सिर्फ चंद लोगों के लिए. उन्होंने सरकार से श्रम आधारित क्षेत्रों को प्रोत्साहित करके समावेशी वृद्धि को बढ़ावा देने, कृषि में निवेश करने और सामाजिक योजानाओं का प्रभावी तरह से क्रियान्वयन करने के लिए कहा है.

भारत के संबंध में इसमें कहा गया है कि पिछले साल 17 नए अरबपति बने है. इसके साथ अरबपतियों की संख्या 101 हो गई है. 2017 में भारतीय अमीरों की संपत्ति 4.89 लाख करोड़ बढ़कर 20.7 लाख करोड़ हो गई है. यह 4.89 लाख करोड़ कई राज्यों के शिक्षा और स्वास्थ्य बजट का 85 प्रतिशत है.

ऑक्सफेम की सीईओ निशा अग्रवाल नें कहा कि ‘यह अत्यंत चिंता का विषय है कि देश की अर्थव्यवस्था में हुई वृद्धि का फायदा मात्र कुछ लोगों के हाथों के सिमटा जा रहा है. अरबपतियों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी फलती-फूलती अर्थव्यवस्था की नहीं बल्कि एक विफल अर्थव्यवस्था की निशानी है. जो मेहनत कर रहे हैं, देश के लिए भोजन की व्यव्स्ता कर रहे हैं, मकान व इमारतों का निर्माण कर रहे हैं, कारखानों में काम कर रहे हैं, वें अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए, दवाओं को खरीदने व अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी तक जुटा पाने के लिए अत्यंत संघर्ष कर रहे हैं. यह बढ़ती खाई, लोकतंत्र को खोखला बनाती है और भ्रष्टाचार व पक्षपात को बढ़ावा देती है.’

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