आईआईटी रूड़की आधारित स्टार्ट-अप ने बैटरी डेवलपमेन्ट के लिए जीता डीआरडीओ का ‘डीयर टू ड्रीम 3.0’ कॉन्टेस्ट

रूड़की, । इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रूड़की (आईआईटी रूड़की) के टेक्नोलॉजी इन्क्युबेशन एण्ड एंटरेप्रेन्युरशिप डेवलपमेन्ट सोसाइटी में इन्क्यूबेट किए गए स्टार्ट-टप इन्डाइजेनियस एनर्जी स्टोरेज़ टेकनोलॉजीज़ प्रा. लिमिटेड को डीआरडीओ के ‘डेयर टू ड्रीम 3.0’ इनोवेशन कॉन्टेस्ट की स्टार्ट-अप कैटेगरी में विजेता घोषित किया गया है। यह स्टार्ट-अप सोडियम-आयन बैटरी टेक्नोलॉजी डेवलपमेन्ट के लिए काम करता है। सोडियम-आयन बैटरियां, आत्मनिर्भर भारत दृष्टिकोण के अनुरूप लागत प्रभावी होती हैं। यह उल्लेखनीय है कि स्टार्ट-अप बैटरी टेकनोलॉजी के वाणिज्यीकरण के लिए सभी ज़रूरी अवयवों का विकास स्थानीय रूप से करता है।क्षेत्र में इनोवेशन और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए की स्थापना की गई है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए ज्प्म्क्ै आईआईटी रूड़की में एक बिज़नेस इन्क्युबेटर-टेक्नोलॉजी एण्ड डेवलपमेन्ट ऑफ एंटरेप्रेन्युरशिप सपोर्ट-का संचालन और प्रबन्धन करता है। इनडाइजेनियस एनर्जी स्टोरेज़ टेक्नोलॉजीज़ प्रा. लिमिटेड की टीम आकाश सोनी, प्रोफेसर योगेश शर्मा, डॉ नागेश कुमार और डॉ असित साहू- को डीआरडीओ के ‘डेयर टू ड्रीम 3.0 कॉन्टेस्ट में पहले पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुरस्कार के तहत रु 10 लाख की राशि माननीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी के द्वारा दी गई। पिछले साल ‘डेयर टू ड्रीम 2.0’ कॉन्टेस्ट में आईआईटी रूड़की से प्रोफेसर सुदीप्ता सरकार को इन्डीविजु़अल कैटेगरी में इनोवेशन्स कॉन्टेस्ट का विजेता घोषित किया गया था। साथ ही पिछले साल टीआईईडीएस आईआईटी रूड़की द्वारा इन्क्युबेट किए गए पहले स्टार्टटप लॉग 9 मटीरियल्स साई प्रा. लिमिटेड ने स्टार्ट-अप कैटेगरी में दूसरा पुरस्कार जीता था। डेयर टू ड्रीम कॉन्टेस्ट की शुरूआत भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की याद में की गई थी, भारतीय रक्षा एवं एरोस्पेस की आवश्यकताओं के अनुरूप आधुनिक तकनीकों की क्षमता को पहचानना इसका मुख्य उद्देष्य था। इस कॉन्टेस्ट के तहत डीआरडीओ के द्वारा डिसरप्टिव विचारों और अवधारणाओं को पहचाना जाता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी कहा, ‘‘कृषि एवं बागवानी में ट्रायल एवं एरर की अवधारणा से शुरूआत करते हुए हमने सभ्यता के विज्ञान को समझा है। लेकिन आगे प्रगति करने और नए लक्ष्यों को हासिल करने के लिए नए तरीकों को अपनाना ज़रूरी है। और इसी को मैं बेहतर भविष्य और आत्मनिर्भर भारत के लिए अनुसंधान एवं विकास कहता हूं।’ विजेताओं को बधाई देते हुए कार्यवाही निदेशक, प्रोफेसर एमएल शर्मा, आईआईटी रूड़की ने कहा, ‘‘वर्तमान में आईआईटी रूड़की के तहत ज्प्म्क्ै के 110 स्टार्ट-अप्स हैं तथा परिसर में उपलब्ध संस्थान एवं सुविधाएं विचार से लेकर सृजन की यात्रा को अंजाम देती हैं। इसके अलावा अकादमिक अनुसंधान के अलावा संस्थान इनोवेशन्स को बढ़ावा देकर उद्यमिता का प्रोत्साहित करता है।’

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