अवैध शराब से जान गई तो मिलेगा मृत्युदंड, बन सकता है सख्त कानून
लखनऊ । अवैध रूप से शराब बनाने और शराब की तस्करी करने वाले पूरी तरह से सावधान हो जाएं। अवैध शराब से होने वाली मौतों के मद्देनजर योगी सरकार बेहद कड़ा कानून बनाने पर मंगलवार को फैसला कर सकती है। अब ऐसा कानून होगा कि अवैध विषाक्त शराब पीने से मृत्यु पर दोषियों को सजा-ए-मौत, आजीवन कारावास के साथ ही भारी-भरकम जुर्माना चुकाना पड़ेगा।
दरअसल, राज्य में 107 वर्ष पहले अंग्रेजों के बनाये उत्तर प्रदेश आबकारी अधिनियम, 1910 के तहत ही शराब की तस्करी करने से लेकर अवैध रूप से कच्ची देशी शराब बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की व्यवस्था है। चूंकि मौजूदा अधिनियम (एक्ट) में न कड़ी सजा और न ही भारी-भरकम दंड शुल्क वसूलने की व्यवस्था है, इसलिए बेखौफ शराब की तस्करी हो रही है। इसके चलते सरकार को बड़े पैमाने पर आबकारी राजस्व का नुकसान हो रहा है।
इतना ही नहीं ढीले-ढाले कानून के चलते धड़ल्ले से अवैध रूप से शराब भी बनाई और बेची जा रही है जिसके विषाक्त (जहरीली) होने पर आए दिन बड़ी संख्या में मौतें भी हो रही हैं। इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कड़े रुख को देखते हुए आबकारी विभाग ने 1910 के आबकारी एक्ट की दंडक धाराओं के प्रावधानों को बेहद कड़ा बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है।
सूत्रों के मुताबिक मंगलवार को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट की बैठक में संबंधित प्रस्ताव को हरी झंडी मिल जाएगी। एक्ट की दो दर्जन से अधिक ऐसी धाराओं में संशोधन किया जा रहा है जिसमें सजा, दंड शुल्क और अधिकारियों के अधिकार का प्रावधान है। चूंकि इन दिनों विधानमंडल का सत्र नहीं चल रहा है इसलिए कैबिनेट की मंजूरी के बाद संबंधित प्रावधानों को लागू करने के लिए सरकार अध्यादेश लाएगी।
मृत्युदंड के लिए नई धारा: मौजूदा कानून से अवैध शराब के कारोबारियों को जहां छह माह तक ही जेल हो सकती है वहीं जुर्माना भी अधिकतम पांच हजार रुपये है। ऐसे में आबकारी एक्ट में नई धारा 60 (क) जोड़कर पहली बार ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि अवैध रूप से शराब की तस्करी एवं विषाक्त कांड (अपमिश्रित शराब से मौत) के दोषियों को मृत्युदंड तक दिया जा सकेगा। इतना ही नहीं ऐसे गंभीर मामलों में दोषियों पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने के साथ ही उन्हें आजीवन कारावास की कठोर सजा भी हो सकेगी।
अफसरों को मिलेगा कठोर दंड: अवैध शराब के कारोबारियों से मिलीभगत रखने वाले विभागीय अफसरों के कर्तव्यपालन में हीला-हवाली पाए जाने पर उन्हें भी अब कठोर दंड मिलेगा। आबकारी कानून में कठोर दंड का प्राविधान होने से तलाशी आदि के मामले में जरा भी लापरवाही पाए जाने पर संबंधित अफसरों के खिलाफ निलंबन और बर्खास्तगी तक की कार्रवाई हो सकेगी। हालांकि, गिरफ्तारी, निरुद्ध, जब्ती, सर्च वारंट और जमानती व गैर जमानती धाराओं आदि में संशोधन से अफसरों के अधिकारों को बढ़ाया भी जा रहा है।