हिलसा मछली में सबसे अधिक ओमेगा
नई दिल्ली । मछली न केवल हर आयु वर्ग के लोगों को संतुलित आहार उपलब्ध कराती है बल्कि यह तेज दिमाग, तीक्ष्ण दृष्टि और हृदय रोग जैसी घातक बीमारियों की रोकथाम में भी महत्वपूर्ण साबित होती है। कई तरह की मछलियों में ओमेगा 3 और गुणवत्तायुक्त प्रोटीन मिलता है, जो तेज दिमाग , दृष्टि दोष और हृदय रोग जैसी खतरनाक बीमारियों की रोकथाम में अदृश्य रूप से जोरदार मदद करता है। देश में पाई जाने वाली मछलियों में प्राकृतिक रुप से पाए जाने वाले पोषक तत्वों को लेकर हुए अनुसंधान का हिस्सा रहे इनलैंड फिशरीज के सहायक महानिदेशक बी पी मोहंती ने बताया कि विदेशों में खाने के कई विकल्प होने के बावजूद लोग मछली खाना पसंद करते हैं। ऐसा स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और कई अन्य कारणों से होता है। डॉक्टर मोहंती ने बताया कि मछलियों में 13.14 से 22 प्रतिशत तक गुणवत्तायुक्त प्रोटीन मिलता है। इसमें 25..3० तरह के सूक्ष्म तत्व पाए जाते हैं जो आसानी से पच जाते हैं तथा जिससे हमें ऊर्जा और रोगप्रतिरोधक क्षमता मिलती है जबकि अन्य माध्यमों से मिलने वाली प्रोटीन आसानी से नहीं पचती हैं।देश में मत्स्य अनुसंधान से जुड़े सात प्रमुख संस्थानों ने वर्ष 2008 से 2018 तक देश में पाई जाने वाली 115 किस्मों की मछलियों में पाए जाने वाले पोषक तत्वों को लेकर एक अध्ययन किया था जिसमे पता चला कि इलिस या हिलसा मछली में सबसे अधिक ओमेगा 3 पाया जाता है । इसमें 10.5 प्रतिशत तेल तथा 20 से 22 प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता है। औसत मछलियों में चार से पांच प्रतिशत तेल तथा 13..14 प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता। मछली की एक किस्म टेंगरा में 0.5 प्रतिशत तेल पाया जाता है । डॉक्टर मोहंती के अनुसार मछली के तेल की हर आयु वर्ग के लोगों को जरूरत होती है । उम्र बढ़ने के साथ ही लोगों में भूलने की समस्या होती है लेकिन ओमेगा 3 यादाश्त बनाए रखने में मदद करता है इसके कारण इसे ‘ब्रेन फ्रेंडली डी एच ए’ कहा जाता है । इसी प्रकार से इसे ‘हार्ट फ्रेंडली या ई पी ए’ भी कहा जाता है। ओमेगा3 में पाए जाने वाले तत्व रक्त को पतला रखते हैं। ए डी एच डी तत्व बच्चों के लिए बहुत लाभदायक है। हिलसा मछली का अंतरराष्ट्रीय संबंध है, जो इसे बेहद महत्वपूर्ण बनाता है। मूल रूप से यह मछली समुद्र में पाई जाती है लेकिन अंडा देने के लिए यह मीठे पानी की नदियों में आती है और प्रजननकाल पूरा होने के बाद अपने बच्चों के साथ फिर समुद्र में लौट जाती हैं। बारीक कांटो की जालवाली बेहद स्वादिष्ट किस्म की इस मछली का मूल्य इसबार करीब दो हजार रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया था जिसके कारण यह आम लोगों के पहुंच के बाहर है ।बड़ी मछलियों के साथ ही छोटी मछलियों का खाना भी महत्वपूर्ण साबित होता है क्योंकि इनमे बड़ी मात्रा में खनिज और विटामिन पाए जाते हैं । मोरला मछली इनमे से एक है । देश में सालाना 130.4 करोड़ टन मत्स्य उत्पादन होता है । इनलैण्ड मत्स्य उत्पादन समुद्री उत्पाद से तीन गुना अधिक है। गहड़े सागर में मत्स्य पकड़ने की तकनीक के अभाव के कारण उत्पादन कम है। मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए सरकार 2050 करोड़ रुपए की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना लेकर आई है जिसके तहत 2024..25 तक मत्स्य उत्पादन दो करोड़ 20 लाख टन करना है।