हाई कोर्ट ने श्री बदरी-केदार मंदिर समिति भंग करने के आदेश को किया निरस्त

नैनीताल : हाई कोर्ट ने बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति भंग करने के राज्य सरकार के आदेश को खारिज कर दिया है। अदालत ने आदेश को मंदिर समिति एक्ट के विरुद्ध माना। कोर्ट के इस फैसले से सरकार को बड़ा झटका लगा है।

समिति के सदस्य दिवाकर चमोली व दिनकर बाबुलकर ने याचिका दायर कर कहा था कि मौजूदा सरकार ने इसी साल एक अप्रैल को बिना किसी कारण के मंदिर समिति को भंग कर संस्कृति सचिव शैलेश बगौली को प्रशासक नियुक्त कर दिया।

न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकलपीठ ने पूर्व में इस मामले में सुनवाई करते हुए आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। साथ ही भंग मंदिर समिति को बहाल कर दिया था। हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि वह बदरी-केदार मंदिर समिति एक्ट-1939 के आधार पर उचित निर्णय ले। आठ जून को सरकार ने फिर से एक्ट का संज्ञान लेते हुए मंदिर समिति को भंग कर दिया।

सरकार के आदेश को मंदिर समिति सदस्यों ने याचिका के माध्यम से फिर चुनौती दी। एकलपीठ ने मंदिर समिति को फिर से बहाल कर दिया। 15 जून को एकलपीठ के आदेश को सरकार द्वारा विशेष अपील दायर कर खंडपीठ में चुनौती दी गई तो खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को सही ठहराया और एकलपीठ को मामले की जल्द सुनवाई के निर्देश दिए थे। हाई कोर्ट से बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति भंग करने के मामले में सरकार को बड़ा झटका लगा है। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के मंदिर समिति भंग करने के आदेश को खारिज कर दिया है।

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