सरकारी महकमों की अनियमितता के ऑडिट पर कुंडली
देहरादून : भ्रष्टाचार को लेकर राज्य सरकार का जीरो टॉलरेंस गंभीर रूप से खतरे में है। सरकारी महकमों में गबन और सरकारी धन के दुरुपयोग की ऑडिट रिपोर्ट को जानबूझकर दबाया जा रहा है, ताकि सच सामने न आ सके।
इसकी बानगी देखिए, नगरपालिका परिषद नैनीताल की 31 मार्च, 2015 को सौंपी गई जिस ऑडिट रिपोर्ट में करीब 20 लाख के गबन और वित्तीय अनियमितता का खुलासा किया गया, उस रिपोर्ट को तकरीबन दो साल तक संबंधित निकाय को भेजा ही नहीं गया।
अल्मोड़ा, बागेश्वर व रानीखेत के लोक निर्माण विभाग के तत्कालीन अधिशासी अभियंताओं के साथ ही जिला पूर्ति अधिकारी नैनीताल व ऊधमसिंहनगर समेत 11 ऑडिट रिपोर्ट पर कार्रवाई होती तो इनमें से कई अधिकारियों पर सेवानिवृत्ति से पहले ही शिकंजा कसा जा सकता था।
हालात की संवेदनशीलता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इक्का-दुक्का या चुनिंदा नहीं, बल्कि दो हजार से ज्यादा ऑडिट रिपोर्ट ऑडिट निदेशालय में दबी पड़ी हुई हैं। शासन के कई रिमाइंडर को भी तवज्जो नहीं दी जा रही है। ऐसे में यह सवाल खड़ा हो गया है कि कही गबन या सरकारी धन का दुरुपयोग करने वालों को बचाने की कोशिश तो कोशिश तो नहीं की जा रही है? वित्त सचिव अमित नेगी ने लेखा परीक्षा निदेशालय से पूरी रिपोर्ट तलब की है।
निदेशालय की मंशा पर सवाल
लेखा परीक्षा (ऑडिट) के जिस निदेशालय पर भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करने और ऑडिट रिपोर्ट को त्वरित कार्रवाई के लिए महकमों को भिजवाने का दारोमदार है, वह सच को छिपाने में ताकत झोंक रहा है। पिछली सरकार के कार्यकाल में यह खेल जमकर हुआ है। ऑडिट की गंभीर रिपोर्ट का सच बेपर्दा होने और दोषियों पर कार्रवाई महज इस वजह से नहीं हो पाई कि ऑडिट रिपोर्ट को संबंधित विभागों और कार्मिकों को भेजा नहीं गया। या तब भेजा गया जब लंबा समय गुजर गया। इसकी तस्दीक शासन की ओर से निदेशालय को भेजे जाने वाले पत्र कर रहे हैं।
गैस गोदामों में अनियमितता
गैस गोदाम चंपावत व गैस गोदाम नैनीताल व नगरपालिका परिषद नैनीताल के बारे में ऑडिट रिपोर्ट 31 मार्च, 2015 को निदेशालय को मिली, लेकिन निदेशालय से उक्त तीनों रिपोर्ट शासन को नौ नवंबर, 2017 को प्राप्त हुईं।
नतीजा देखिए कि वर्ष 2014-15 से संबंधित उक्त रिपोर्ट में शामिल नगरपालिका परिषद नैनीताल की रिपोर्ट में 3.88 लाख के संभावित गबन और 16.84 लाख की धनराशि के गबन और दुर्विनियोग से संबंधित आपत्तियां दो सालों से लंबित रह गईं।
हालांकि, ऑडिट मैनुअल में साफ हिदायत है कि ऑडिट के जरिए व्यवस्था का बेहतर सुपरविजन के लिए चेतावनी के संकेत अनिवार्य रूप से दिए जाने चाहिए। शासन ने दो वर्षों से इतनी महत्वपूर्ण रिपोर्ट को बगैर कारण लंबित रखे जाने को सरकारी कामकाज के प्रति लापरवाही व ऑडिट के नियमों का उल्लंघन माना है।
लेटलतीफी से नहीं हो सकी कई अफसरों पर कार्रवाई
अधिशासी अभियंता लोनिवि प्रांतीय खंड अल्मोड़ा, अधिशासी अभियंता लोनिवि प्रांतीय खंड बागेश्वर, अधिशासी अभियंता लोनिवि प्रांतीय खंड रानीखेत, जिला विकास अधिकारी नैनीताल में वर्ष 2013-14, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ओखलकांडा, नैनीताल की वर्ष 2010-11 से 2013-14 की रिपोर्ट इसीतरह लंबित हैं।
इसी तरह 2014-15 में जिलापूर्ति अधिकारी नैनीताल, जिलापूर्ति अधिकारी ऊधमसिंहनगर, पशु चिकित्सालय पाटी चंपावत, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, नैनीताल, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी चंपावत, नैनीताल जिले में बेतालघाट, धारी व बाराकोट के पशुचिकित्सालयों की रिपोर्ट समेत उक्त दोनों प्रकरणों में लेखा परीक्षा निदेशालय की ओर से संबंधित कार्मिकों को कार्यमुक्त या सेवानिवृत्ति के लिए प्रमाणपत्र देने से पहले उक्त संबंध में जांच की जानी थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।