हरियाणा में पंचायतों को भी देना होगा जीएसटी, शहरी निकायों को राहत

चंडीगढ़। ह‍रियाणा में अब पंचायतों को भी जीएसटी यानि वस्‍तु एवं सेवा कर देना होगा। इस मामले में सरकार ने शहरी निकायोें को राहत दी है। राज्‍य में शामलाती जमीन को पट्टे पर देकर 20 लाख रुपये से अधिक कमाने वाली पंचायतों को जीएसटी चुकाना होगा। दूसरी ओर, नगर निगम, परिषद और नगर पालिकाओं को सरकारी अनुदान के रूप में मिलने वाली रकम पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा।

जमीन से 20 लाख कमाने वाली पंचायतों को देना पड़ेगा जीएसटी

यह जानकारी राज्‍य के वित्‍तमंत्री कैप्‍टन अभिमन्‍यू ने दी। हरियाणा निवास में मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में कैप्टन अभिमन्यु ने राज्‍य में जीएसटी से पड़े प्रभाव के बारे में जानकारी दी। उन्‍होंने जीएसटी लागू होने के बाद पहली तिमाही की समीक्षा रिपोर्ट रखी। उन्होंने कहा कि पहली जुलाई से लागू हुई नई कर प्रणाली से प्रदेश में एक लाख से अधिक व्यापारी टैक्‍स के दायरे में आए हैं।

शहरी निकायों की सरकारी ग्रांट पर जीएसटी नहीं

कैप्‍टन अभिमन्‍यू ने बताया कि पहले  प्रदेश में करीब ढाई लाख व्यापारी विभिन्न तरह के टैक्स जमा कर रहे थे, वहीं अब यह आंकड़ा तीन लाख 31 हजार 786 पर पहुंच गया है। इस तरह पिछले तीन महीने में कुल एक लाख एक हजार 409 टैक्‍स चुकाने वाले व्‍यापारी बढ़े। दो लाख 30 हजार 377 डीलर ऐसे हैं जो वैट से जीएसटी के दायरे में आए हैं। बाकि डीलरों ने नया रजिस्ट्रेशन कराया। इससे जाहिर है कि व्यापारियों का जीएसटी में भरोसा बढ़ा है।

क्षतिपूर्ति में हरियाणा को मिले 467 करोड़

वित्तमंत्री ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद नौ महीने में हरियाणा को करीब 20 हजार करोड़ रुपये बतौर क्षतिपूर्ति मिलने का अनुमान है। पहले दो महीने जुलाई और अगस्त की क्षतिपूर्ति के तौर पर 467 करोड़ रुपये प्रदेश को मिल चुके हैं।

उन्होंने दावा किया कि जीएसटी के मामले में हरियाणा सही रास्ते पर है। प्रदेश में सिर्फ 26 हजार व्यापारियों ने ही कंपोजिशन स्कीम को अपनाया है। यह कुल डीलर्स का 7.8 फीसद है, जबकि राष्ट्रीय औसत 17 फीसद है। इस तरह ज्यादा डीलर्स ने जीएसटी में रेगुलर रजिस्ट्रेशन ही कराया।

उन्‍होंने कहा कि छोटे व्यापारियों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए हाल ही जीएसटी काउंसिल ने वार्षिक टर्नओवर की सीमा 75 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये करने के साथ मासिक रिटर्न भरने के बजाय अब उन्हें त्रैमासिक रिटर्न का विकल्प दिया है। उन्होंने कहा कि 81 फीसद आइटमों को जीएसटी में 18 फीसद या इससे कम टैक्स के स्लैब में रखा गया है। 19 फीसद आइटम ही 28 फीसद के टैक्स स्लैब में हैं।

जीएसटी रिटर्न भरने में हरियाणा चौथे नंबर पर

वित्त मंत्री ने बताया कि जीएसटी की रिटर्न भरने के मामले में भी हरियाणा का बेहतर प्रदर्शन रहा है। जीएसटी आर-3 के मामले में हरियाणा चौथे  और जीएसटी आर-1 रिटर्न भरने में तीसरे स्थान पर रहा है। डीलरों द्वारा जीएसटी का फायदा उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचाने को लेकर भी 43 शिकायतें मिली हैं। इन्हें केंद्रीय कमेटी को कार्रवाई के लिए भिजवाया गया है।

 

News Source: jagran.com

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