सरकार ने दिया ‘ब्रम्हास्त्र’, लेकिन लोनिवि चलाना भूल गया

देहरादून। उत्तराखंड सड़क संरचना सुरक्षा अधिनियम (रोड साइड कंट्रोल एक्ट) प्रदेश की सड़कों से कब्जे हटाने के लिए किसी ‘ब्रम्हास्त्र’ से कम नहीं है। प्रदेश सरकार ने लोक निर्माण विभाग को इस शस्त्र से सुसज्जित कर रखा है। इसके बाद भी विभाग ‘ब्रम्हास्त्र’ को चलाना ही भूल गया है।यदि चलाना जानता को राजधानी देहरादून में करोड़ों रुपये खर्च करके मार्गों को कब्जों से मुक्त कराने का अभियान नहीं चलाना होता। इस कानून के तहत विभागीय स्तर पर स्वत: संज्ञान लेकर एक भी ऐसी बड़ी कार्रवाई नहीं हुई, जो अतिक्रमणकारियों के  लिए सबक बनती। जबकि कानून में लोनिवि के नियंत्रण वाली किसी भी तरह की सड़क पर अवैध कब्जे को दोषियों को दो साल की जेल की हवा खिलाने या जुर्माना लगाने अथवा दोनों दंड देने का प्रावधान है। मजेदार बात यह है कि यह कानून 2014 में अस्तित्व में आ गया था। लोनिवि मुख्यालय के स्तर पर सभी डिवीजन और सर्किलों में तैनात इंजीनियरों को इस अधिनियम के तहत कार्रवाई करने के दिशा-निर्देश जारी हो गए। इसके बाद न तो फील्ड में तैनात इंजीनियरों ने सड़कों को कब्जों से मुक्त कराने के लिए कानून का पालन करने की जहमत उठाई, न ही मुख्यालय स्तर से अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन की प्रगति के बारे में जानने की कोशिश की गई। जहां तक सड़कों पर अतिक्रमण का प्रश्न है तो राजधानी देहरादून इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। जहां उच्च न्यायालय के दखल से अतिक्रमण हटाने के लिए सरकार को अभियान चलाना पड़ रहा है। जबकि अधिनियम के तहत लोनिवि को कम से कम अपनी सड़कों को बचाने की कार्रवाई 2014 के बाद से स्वयं शुरू कर देनी चाहिए थी। अधिनियम में मार्गों और उसके अधिकृत भूमि के नक्शे बनाने और उन्हें सार्वजनिक करने का भी प्रावधान है। लेकिन इस दिशा में भी कोई काम नहीं हो पाया। हालांकि इस बात से विभागाध्यक्ष व प्रमुख अभियंता हरिओम शर्मा सहमत नहीं है। उनका कहना है कि जहां शिकायत प्राप्त होती है, विभागीय स्तर पर अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाती है। सामान्य तौर पर जब अभियान चलते हैं तो अधिनियम के तहत ही कार्रवाई अमल में लाई जाती है।

उत्तराखंड सड़क संरचना सुरक्षा अधिनियम के कुछ प्रमुख प्रावधान

– प्रदेश में सभी प्रकार की सड़क, नालियां व सुरक्षा दीवार पर स्थायी व अस्थायी संरचना प्रतिबंधित
– सड़क पर कूड़ा करकट, मलबा, मिट्टी का भंडारण करना, मवेशियों को बांधना प्रतिबंधित
– सड़क के मौलिक रूप में प्रभावित करने का दोषी पाए जाने पर विधिक कार्रवाई का प्रावधान
– अपील के बाद दोषी पाए जाने वाले को दो वर्ष तक कारावास अथवा अर्थ दंड या दोनों सजा
– सड़क को मौलिक रूप में लाने के खर्च की वसूली दोषी से होगी और इसे सिविल न्यायालय नहीं दी जा सकेगी चुनौती
– विभागीय स्तर पर सड़कों के नक्शे तैयार होंगे और उन्हें बाकायदा समाचार पत्रों में प्रकाशित किया जाएगा

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