गहलोत-पायलट की तकरार, क्या राजस्थान में बचेगी कांग्रेस की सरकार?

देश की लगभग 135 साल पुरानी पार्टी कांग्रेस के लिए कहीं से भी अच्छी खबर नहीं आ रही है। लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते हुए जवाबदेही तय करने की बात की। राहुल गांधी के इस फैसले के बाद कांग्रेस में पार्टी के महासचिव हों या फिर संगठन के लोग, सभी ने एक के बाद एक अपना इस्तीफा सौंपना शुरू कर दिया है। यहां तक कि पार्टी के बूथ स्तर तक के कार्यकर्ता भी राहुल के प्रति वफादारी दिखाते हुए इस्तीफा देने लगे। खैर, यह बात तो कांग्रेस फिर भी बर्दाश्त कर रही थी लेकिन जिस तरह के झटके पार्टी को कर्नाटक और गोवा से मिले हैं वह शायद असहनीय हैं।  सूत्रों कि मानें तो कर्नाटक और गोवा के बाद मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी सियासी उठा-पटक देखने को मिल सकती है। यह दो ऐसे प्रदेश हैं जहां कांग्रेस ने हाल में ही अपनी सरकार बनाई थी। दोनों ही राज्यों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी पर मुख्यमंत्री का नाम तय करने के लिए पार्टी को काफी मशक्कत करनी पड़ी। जहां मध्य प्रेदश में ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के समर्थक आमने-सामने थे तो वहीं राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच तकरार जोरो पड़ रही। दोनों राज्यों में भले ही सरकार बन गई पर नेताओं और समर्थकों के बीच की तकरार समय-समय पर मीडिया की सुर्खियों में आती रहीं। लोकसभा चुनाव में हार के बाद जहां मध्य प्रेदश में ज्योतिरादित्य सिंधिया वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे हैं तो राजस्थान में गहलोत और पायलट आमने-सामने हैं। हाल में ही सत्ता की बागडोर संभालने के 8 महीने बाद अशोक गहलोत ने इशारों-इशारों में सचिन पायलट को यह कह दिया कि वह वह राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने का मंसूबा ना पालें। राजस्थान का बजट पेश करने के बाद गहलोत ने कहा कि अगर किसी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया जाना था तो वह सिर्फ अशोक गहलोत था कोई और नहीं। गहलोत अपने सौम्य स्वभाव और संयमित भाषा के लिए जाने जाते हैं पर इस बयान के बाद ऐसा कहा जा रहा है कि उन्होंने अपना संदेश जिसे पहुंचाना था पहुंचा दिया है। गहलोत के इस बयान को कड़े संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है और यह भी माना जा रहा है कि राजस्थान कांग्रेस में सबकुछ सही नहीं चल रहा है।

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