दिल्ली सरकार तक पूर्व सूबेदार की अर्जियां पहुंची, आवाज नहीं
नई दिल्ली । सरकार के पास अर्जियां तो बहुत पहुंचती हैं, लेकिन सबकी आवाज नहीं। सेना के पूर्व सूबेदार के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। 53 साल के ओमवीर सिंह सोम को साक्षात्कार के बाद पांच महीने पहले राजगढ़ कॉलोनी स्थित एक सरकारी स्कूल में क्लर्क के तौर पर नौकरी मिली थी, लेकिन एक महीने बाद ही बिना कारण ही उन्हें स्कूल आने से मना कर दिया गया।
अब चार महीने से वह शिक्षा विभाग से लेकर सरकार तक गुहार लगा चुके हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। सिर्फ कागज भेजकर तसल्ली दी जा रही है कि मामले की जांच की जा रही है।
ओमवीर सिंह सोम सेक्टर तीन, श्रद्धापुरी, कांकेर खेड़ा, मेरठ कैंट में रहते हैं। अक्टूबर 2015 में सेना से सूबेदार पद से सेवानिवृत्त हुए। इसी साल मार्च में उन्होंने दिल्ली शिक्षा निदेशालय में अस्थाई क्लर्क पद पर नौकरी के लिए आवेदन दिया।
राजगढ़ कॉलोनी स्थित सर्वोदय बाल विद्यालय में साक्षात्कार के बाद एक साल के लिए उनकी नियुक्ति हुई। उन्होंने एक मई को ज्वाइन किया और मेरठ कैंट से ही नौकरी पर आते थे। सात जून को स्कूल पहुंचने पर उन्हें उपस्थिति दर्ज कराने से रोक दिया गया।
बताया गया कि विभाग ने वेतन जारी करने से मना कर दिया है। स्कूल के प्रभारी विनोद कुमार शर्मा ने कहा कि उनकी नियुक्ति गलत हो गई है। यहां कोई पद रिक्त नहीं था।
हर बार अलग-अलग दलील
ओमवीर ने आठ जून को उप शिक्षा निदेशक से इसकी शिकायत की। जवाब नहीं मिला तो उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को 12 जून को शिकायत दी। सिसोदिया के ओएसडी डीएस पुंडीर ने शिक्षा निदेशक के पास शिकायत भेज दी और 16 जून को शिक्षा निदेशालय ने उप शिक्षा निदेशक को पत्र लिखकर रिपोर्ट तलब की।
इसी बीच स्कूल की तरफ से ओमवीर को 17 जुलाई को पत्र भेजकर कहा गया कि वह स्कूल से अनुपस्थित थे। इसलिए 27 जून से उनकी सेवा समाप्त की गई है। बाद में एक और पत्र भेजकर कहा गया कि रिक्त पद पर स्थायी कर्मचारी की नियुक्ति होने के कारण उनकी सेवा समाप्त की गई है। इसके बाद से ओमवीर अधिकारियों और मंत्रियों के पास चक्कर लगा रहे हैं।
मुख्यमंत्री दरबार में की शिकायत
अपने साथ हुए व्यवहार आहत और हताश ओमवीर सिंह ने सोमवार को मुख्यमंत्री दरबार में पहुंचकर अरविंद केजरीवाल से मुलाकात कर शिकायत दी। मुख्यमंत्री ने एक अधिकारी को मामले की जांच के लिए कहा है।
सर्वोदय बाल विद्यालय प्रभारी विनोद कुमार का कहना है कि नियुक्ति पत्र में इसका जिक्र था कि स्थायी नियुक्ति होने पर उनकी सेवा समाप्त कर दी जाएगी। स्कूल में स्थायी नियुक्ति हो गई थी। इस वजह से उनकी सेवा समाप्त की गई है। जहां तक नियुक्ति रद करने के लिए दो पत्र जारी करने की बात है तो दूसरा पत्र इसलिए जारी किया गया, ताकि उन्हें आगे किसी नौकरी में दिक्कत न हो। जितने दिन उन्होंने कार्य किया, उसका वेतन देने के लिए हम तैयार हैं, लेकिन वह इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं।