पूर्व वित्तमंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने रोजगार को लेकर सरकार की आलोचना की

नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने आम चुनावों से पहले पेश बजट को लेकर राजग सरकार की आलोचना की है. उन्होंने जोर देकर कहा कि बजट में किये गये उपायों से राजकोषीय घाटा बढ़ेगा. उन्होंने रोजगार सृजन के मुद्दे को लेकर मोदी सरकार की खिंचाई की. पूर्व वित्त मंत्री ने ट्विटर पर यह भी लिखा कि सरकार ने सकल कर राजस्व में 16.7 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान जताया है जबकि बाजार मूल्यों पर आधारित जीडीपी वृद्धि दर 11.5 प्रतिशत है. उन्होंने यह जानना चाहा कि क्या 16.7 प्रतिशत की कर वृद्धि दर वास्तिवक है या महत्वकांक्षी या आक्रमक.’’

उन्होंने लिखा, ‘‘वर्ष 2018-19 के बजट के अनुसार राजकोषीय घाटा 2017-18 में 3.2 प्रतिशत से बढ़कर 3.5 प्रतिशत पर पहुंच गया. वहीं 2018-19 में इसके 3.0 प्रतिशत के मुकाबले 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया है. फिर 2017-18 और 2018-19 में चालू खाते के घाटे का क्या अनुमान है.’’

चिदंबरम ने कहा कि घाटा लक्ष्य से ऊपर रहा और यह पूछा कि क्या इस उच्च घाटे से स्फीतिक दबाव बढ़ेगा. थोक मूल्य सूचंकाक आधारित मुद्रास्फीति 3.6 प्रतिशत तथा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर 5.2 प्रतिशत है.

उन्होंने पूछा 2017-18 और 2018-19 के लिये थोक और खुदरा मुद्रास्फीति का क्या लक्ष्य रखा गया है.

चिदंबरम ने कहा कि अगर कच्चे तेल का दाम बढ़कर 70 या 75 डालर प्रति बैरल हो जाता है तो इससे सरकारी बजटीय खासकर राजकोषीय घाटे के अनुमान पर क्या प्रभाव पड़ेगा.

रोजगार के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘आपने जब सत्ता संभाली, आपने सालाना दो करोड़ रोजगार का वादा किया. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने कहा उपयुक्त रोजगार वह है जो निश्चित, नियमित और सुरक्षित हो. आपके रोजगार की क्या परिभाषा है.. आईएलओ की परिभाषा के अनुसार कितने रोजगार चार साल में सृजित हुए.’’

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