विदेशी परिंदों ने शारदा सागर डैम में डेरा डाला

खटीमा, । सर्द मौसम में सुरक्षित ठिकाने की तलाश में सात समुद्र पार से आए विदेशी परिंदों ने शारदा सागर डैम में डेरा डाल दिया है। शिकारियों के निशाने पर हमेशा रहने वाले इन मेहमान पक्षियों की सुरक्षा भगवान भरोसे होने से उन पर मौत का साया मंडरा रहा है। नेपाल से लेकर उत्तर प्रदेश तक इन मेहमान पक्षियों के मांस की बड़ी मांग रहती है। जिसकी पूर्ति करने के लिए शिकारी इनका कत्ल करने कोई गुरेज नहीं करते।खटीमा के बाइस पुल से यूपी के पीलीभीत जिले तक 22 किलोमीटर की परिधि में फैले शारदा सागर डैम विदेशों से आए हजारों पक्षियों का मनपंसद स्थल है। नेपाल सीमा को छूने के साथ उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड की सीमा में फैले इस डैम में चाइना, मंगोलिया, साइबेरिया समेत आधा दर्जन यूरोपीय देशों के पचास हजार से अधिक परिंदे ठंड होते ही यहां पहुंच जाते हैं। 22 किलोमीटर की परिधि में फैले इस डैम का 6 किलोमीटर हिस्सा उत्तराखंड में पड़ता है। शेष हिस्सा यूपी के अधीन है। दो प्रदेशों में डैम के होने की वजह से सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे है। उत्तराखंड के हिस्से में भी वन विभाग का इस डैम पर कोई पहरा नहीं है। जिसका फायदा शिकारी उठाते हैं।डैम के किनारे बसे गांव शिकारियों के प्रमुख अड्डे हैं। इन गांवों के जरिए वे डैम पहुंचकर दो तरीके से परिंदों की जान लेते हैं। शिकारी कीटनाशक जहर का प्रयोग करते हैं। जिस स्थान पर पानी अधिक होता है वहां पर शिकारी तितलियों को मारकर उनके पीठ पर जहरीली दवा लगाते हैं। फिर उन्हें एक हरे पत्तों पर तितलियों को रख देते हैं। जब पक्षी डाम पर बसेरा डालने पहुंचते हैं। भोजन समझ कर तितलियों को खाते हैं। खाते ही मेहमान पक्षी मौत के आगोश में समा जाते हैं। इसके अलावा शिकारी जाल डालकर उन्हें फंसा लेते है। जिंदा शिकार मंहगा बिकता है। साइबेरियन पक्षियों की मांग स्थानीय के अलावा नेपाल व यूपी के पीलीभीत, खीरी आदि में खूब है। इन पक्षियों का मांस गर्म, स्वादिष्ट व नरम होता है। इसी वजह से इसकी मांग सर्द मौसम में अधिक रहती है।

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