जीपीएस तकनीक से पता चलेगा आने वाला है बड़ा भूकंप

देहरादून : भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (आइआइआरएस) ने दावा किया है कि इलेक्ट्रॉन के अध्ययन से भूकंप का पूर्वानुमान संभव है और इससे बड़े भूकंप का पहले ही पता लगाया जा सकता है। देहरादून में आयोजित उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की कार्यशाला में आइआइआरएस के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. पीके चंपतीरे ने ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम से (जीएनएसएस) इस तकनीक के अध्ययन को साझा किया।

उन्होंने अध्ययन साझा करते हुए बताया कि वर्ष 2015 में नेपाल में आए 7.8 रिक्टर स्केल के भूकंप से पहले इलेक्ट्रॉन की मात्रा वातावरण में सामान्य से चार-पांच वी-टेक तक घट गई थी। वातावरण में इलेक्ट्रॉन 20 से 60-70 वी-टेक तक रहती है। सुबह मात्रा कम रहती है, दोपहर के समय सूरज की रोशनी में बढ़ जाती है और रात को फिर घट जाती है।

नेपाल भूकंप के 10-15 दिन पहले हर अंतराल में इलेक्ट्रॉन की मात्रा कम पाई गई। हालांकि ऐसा नहीं है कि बड़े भूकंप से पहले इलेक्ट्रॉन की मात्रा कम ही होगी, यह असमान्य रूप से बढ़ भी सकती है। हालांकि यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि बड़े भूकंप से 10-15 दिन पहले इलेक्ट्रॉन की मात्रा सामान्य से कम या अधिक हो जाती है।

देश में 34 जीएनएसएस यंत्र

आइआइआरएस के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. चंपतीरे ने बताया कि इलेक्ट्रॉन की मात्रा का अध्ययन करने के लिए संस्थान की ओर से उत्तराखंड में चार यंत्र लगाए गए हैं। इसी तरह केंद्रीय स्तर पर 20 व वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के करीब 10 यंत्र लगाए गए हैं। इन सभी का अध्ययन इसी तरफ इशारे करता है। इस लिहाजा से कहा जा सकता है कि जीएनएसएस यंत्र से भूकंप का पूर्वानुमान संभव है।

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