करनाल में पराली जलाने पर 23 किसानों के खिलाफ एफआइआर
करनाल। प्रशासन के लाख प्रयासों के बावजूद किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे। कहीं रात के अंधेरे में तो कहीं दिन में सरेआम धरती व पर्यावरण की सेहत से खिलवाड़ जारी है। मौजूदा धान के सीजन की शुरुआत में ही अब तक 23 किसानों पर एफआइआर दर्ज हो चुकी है। नीलोखेड़ी ब्लॉक के किसानों ने नियम के साथ सबसे अधिक खिलवाड़ किया। यहां अब तक सर्वाधिक 11 किसानों पर मामला दर्ज किया गया है, जबकि सात एफआइआर के साथ इंद्री दूसरे नंबर पर है।
घरौंडा खंड ने अब तक जागरुकता का परिचय दिया है। प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार यहां अभी तक किसी भी किसान ने फानों को आग नहीं लगाई। करनाल व निसिंग ब्लॉक में अब तक केवल एक-एक किसान ने ऐसा किया। नीलोखेड़ी में 21 सितंबर को पांच किसानों पर केस दर्ज कराया गया। इसके बाद 29 सितंबर को चार किसान फिर पराली जलाते मिले। प्रदेश सरकार ने करनाल जिले को फसल अवशेष प्रबंधन में मॉडल बनाने के लिए चुना है। कृषि विभाग के अधिकारी सकते में हैं कि आखिर सेमिनार, जागरुकता कैंप व जुर्माने के बावजूद किसान पुरानी आदत क्यों नहीं छोड़ रहे।
पंचायत सेक्रेटरी, पटवारी व एडीओ कर रहे निगरानी
फानों को जलाने से बचाने के लिए पंचायत सेक्रेटरी, पटवारी व कृषि विभाग के एडीओ जिले की निगरानी कर रहे हैं। डीसी डॉ. आदित्य दहिया के निर्देश के बाद कमेटी बनाकर इसमें एसडीएम, बीडीओ, तहसीलदार, कृषि विभाग से डीडीए व एसडीओ के अलावा कई अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को भी शामिल किया गया है। उच्च अधिकारियों के स्पष्ट निर्देश हैं कि इस बार जो किसान पराली में आग लगाएगा उस पर तुरंत कार्रवाई हो।
कोई पराली जलाए तो यहां करें शिकायत
जिले के किसी गांव में यदि कोई किसान फसलों के अवशेषों को आग के हवाले करता है तो उसकी शिकायत फोटो व लोकेशन के साथ वाट्सएप नंबर 8295104099 पर की जा सकती है। इसके लिए गांव के पटवारी, ग्राम सचिव व एडीओ की टीम को भी सूचित किया जा सकता है।
कृषि विभाग के किसी भी अधिकारी व कर्मचारी को जानकारी देने पर भी एक्शन होगा। दो एकड़ के पराली जलाने पर ढ़ाई हजार रुपये के जुर्माना होगा। दो से पांच एकड़ तक 5 हजार रुपये व पांच एकड़ से ऊपर तक 15 हजार रुपये जुर्माने व छह महीने की सजा का भी प्रावधान है। बीते वर्ष धान के सीजन में कृषि विभाग ने जिले के किसानों से सात लाख जुर्माना वसूला था।
News Source: jagran.com