देश की जांच एजेंसियों का दुरुपयोग होने से भय का माहौल : यशवंत सिन्हा

जबलपुर: राष्ट्रमंच गठित करने वाले भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने बगैर नाम लिए केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए कहा कि देश में भय का माहौल है और देश की जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है. मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में एनटीपीसी के खिलाफ चल रहे आंदोलन में हिस्सा लेने आए सिन्हा ने बुधवार को जबलपुर में संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा कि देश की जांच एजेन्सियों का दुरूपयोग किया जा रहा है. एक अलग मानसिकता रखने वालों के खिलाफ जांच एजेन्सियों का उपयोग हो रहा है. जिसके कारण पूरे देश में भय का माहौल है.

उन्होंने कहा कि देश का नागरिक होना भाजपा के सदस्य होने से ऊपर है. देश के नागरिक होने के कारण वह किसानों की लड़ाई लड़ रहे हैं. दिल्ली और भोपाल में बैठे लोग किसानों की जमीनी स्थिति व दशा से अनजान हैं. ऐसा लगता है कि देश में किसानों की किसी को चिंता ही नहीं है.

उन्होंने कहा कि सरकार का आर्थिक सर्वेक्षण में बेरोजगारी, शिक्षा व किसानों की समस्या का उल्लेख किया गया है. यह समस्या एक दिन में तो उत्पन्न नहीं हुई है. इसका स्पष्ट अर्थ है कि पिछले तीन वर्षो में सरकार इन मुद्दो पर विफल रही है.  पार्टी के विरोध में बयानबाजी करने के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उनका आन्दोलन किसी व्यक्ति व पार्टी के खिलाफ नहीं है. उनका विरोध नीतियों के खिलाफ है, वह पार्टी के सदस्य हैं. वह पार्टी नहीं छोड़ेंगे, पार्टी चाहे तो उन्हें हटा सकती है.

राष्ट्र मंच के संबंध में उन्होंने बताया कि यह एक अराजनैतिक संगठन है. इसमें विभिन्न पार्टी के सदस्य सहित पूर्व मंत्री व सांसद शामिल हैं. यह एक आन्दोलन है, जो देश के किसान, बेरोजगारों के साथ है. सांसद शत्रुघ्न सिन्हा के अलावा भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेताओं के राष्ट्र मंच में शामिल होने के विषय में उन्होंने कहा कि यह एक संवेदनशील मामला है. इसका वह समय आने पर खुलासा करेंगे.

उन्होंने कहा कि नरसिंहपुर के गाडरवारा में एनटीपीसी प्लॉट के खिलाफ धरना दे रहे किसानों के साथ प्रशासन ने अमानवीय व्यवहार किया है. प्रशासन की कार्यवाही का जवाब हम देंगे. उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रदेश सरकार भी दोषी है. इस वर्ष मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा की हालत पर पूछे गए सवाल पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया.

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